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मानसून की देरी पर प्री-मानसून बादलों का मरहम, पछुआ हवाएं हावी

अभी तक मानसून की दस्तक नहीं हुई और लोगों को भीषण गर्मी का ताप झेलना पड़ रहा है। मौसम विज्ञानी मानसून के 26 जून तक आने की उम्मीद जता रहे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 06:55 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 06:14 PM (IST)
मानसून की देरी पर प्री-मानसून बादलों का मरहम, पछुआ हवाएं हावी
मानसून की देरी पर प्री-मानसून बादलों का मरहम, पछुआ हवाएं हावी

लखनऊ(जेएनएन)। अभी तक मानसून की दस्तक नहीं हुई और लोगों को भीषण गर्मी का ताप झेलना पड़ रहा है। अब मौसम विज्ञानी यहां पर मानसून के 26 जून तक आने की उम्मीद जता रहे हैं। हालांकि प्री मानसून के बादलों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। कुछ जगहों पर तेज हवाएं भी चलने से आंधी सरीखा मौसम नजर आया। मगर बारिश की स्थितियां नहीं बन सकीं। दिन भर उमस और गर्म हवाओं का जोर से तापमान चालीस डिग्री के आसपास बना रहा। पछुआ हवाओं के चलने से अगले कुछ दिनों तक मानसून के सक्रिय होने के आसार नहीं हैं। 

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मध्य पूर्व उत्तर प्रदेश में तपिश के बाद  बारिश 

मध्य पूर्व उत्तर प्रदेश में सोमवार को भीषण तपिश के बीच दोपहर बाद धूल भरी आंधी के साथ बारिश हुई। कानपुर में 50-60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं और आधे घंटे की अवधि में करीब 15 मिलीमीटर बारिश हुई। वहीं उन्नाव, इटावा व कन्नौज में बूंदाबांदी होने से गर्मी से कुछ राहत मिली। औरैया में बेला, सहार, औरैया, ककोर, बिधूना आदि क्षेत्रों में बारिश हुई, जबकि शहर सहित कुछ क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई। बुंदेलखंड के जिलों में धूल भरी हवाएं चलीं। हमीरपुर में अधिकतम तापमान 46.1 व न्यूनतम 31.02 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। चित्रकूट में 45, बांदा, महोबा, फतेहपुर व जालौन में 42, कानपुर देहात में 41.4, उन्नाव में 41, कन्नौज व औरैया में 40, फर्रुखाबाद में 39.8, इटावा में अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मौसम की तल्खी से इलाहाबाद में सूरज की तल्ख किरणें लोगों को झुलसाती रहीं। दोपहर बाद कौशांबी और प्रतापगढ़ में कुछ स्थानों पर आसमान में बादल छाए और शाम को छिटपुट बूंदाबांदी भी हुई।

 

मानसून केरल में तो पहले ही आ गया

 वाराणसी में मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय के अनुसार इस बार मानसून केरल में तो पहले ही आ गया था। इस लिए उम्मीद जताई जा रही थी कि यहां भी 15 जून तक पहुंच जाएगा, लेकिन वह बीच रास्ते में ही धीमा पड़ गया। हालांकि उत्तरी बिहार तक मानसून पहुंच गया था। 50 साल के औसत को देखा जाए तो काशी में 15-20 जून तक मानसून पहुंच जाता है। हां, कई बार लेट भी हुआ है। यह स्थिति वायुमंडल में गड़बड़ी के चलते हुई है। 

मानसून लेट होने से होगा नुकसान 

कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के प्रो. पीके सिंह ने बताया कि फिलहाल मानसून लेट होने से बहुत ज्यादा नुकसान नहीं है। अगर 26 जून के बाद भी मानसून लेट होता है तो 20-25 प्रतिशत तक उपज प्रभावित होगी। बताया कि लंबी अवधि वाली प्रजाति की नर्सरी लग जानी चाहिए थी, लेकिन मानसून की देरी से प्रभावित हो रही है। 


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