Ramadan 2020: परिवार के साथ इबादत कर रहे रोजेदार, नहीं निकलेगा 19वीं रमजान का जुलूस
रमजान में घर के अंदर हो रही है इबादत पांच पारे की तरावीह हुई खत्म।
लखनऊ, जेएनएन। अल्लाह की इबादत और दुआओं के इस रमजान पाक महीने में इबादत के साथ ही ईद को लेकर भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। पांच पारे की नमाज कर रोजेदार समाज में अमनचैन की दुआएं मांग रहे हैं। इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सभी रोजेदार सब्र रखें और अल्लाह से सारे गुनाह माफ करने की दुआ मांगें। उन्होंने फेसबुक पर कुरआन पाक की तिलावत का प्रसारण भी किया गया।
शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि नेकियां लुटाने के इस पाक महीने में तरावीह की रकम गरीबों में बांटने का कार्य ईद के पहले करते रहें। ऐसे करके आप अल्लाह के करीब होते है आैर आप पर अल्लाह की रहतम बरसती है। काजी-ए-शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने कहा कि रमजान पाक के इस महीने का दूसरा अशरा चल रहा है। इन दिनों अल्लाह अपने बंदो के गुनाहों का माफ कर उपहार देता है। ऐसे में सभी रोजेदार परिवार के साथ ईद में भी घर में ही इबाद करें। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ.सैयद कल्बे सादिक ने 25 मई को ईद होने का एलान किया है। इसी के साथ ही बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है। दोपहर में तेज घूप के बावजूद रोजेदार बाजारों में नजर आने लगे हैं।
मास्क और सैनिटाइजर की ईदी
ईद पर उपहार के रूप में ईदी देने की परपंरा में भी बदलाव आ गया है। लॉकडाउन में जब दुकानों पर ताला लगा है तो रोजेदार ईदी के रूप में मास्क और सैनिटाइजर का उपहार देने की तैयारी कर रहे हैं। लालबाग के क्षेत्रीय सेवायाेजन कार्यालय में तैनात मुहम्मद हसन ने परिवार के साथ इफ्तारी की और ईद पर मास्क और सैनिटाइजर देने की बात कही। मौलानाओं ने भी खुद के साथ समाज की सुरक्षा के लिए उपहार में ऐसी चीजे देने की गुजारिश की है।
कल नहीं निकलेगा जुलूस
शिया घर्म गुरु धर्मगुरु मीसम ज़ैदी ने बताया कि 19वीं रमजान को बुधवार को निकलने वाला जुलूस को सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दिया गया है। 1930 यह जुलूस हर साल निकाला जाता है। इसके बारे में मौलाना ने बताया कि गिलीम कम्बल को कहते है। हज़रत अली जब 19 रमज़ान को मस्जिदे कूफ़ा नमाज़े फज्र पढ़ाने गए तो भाड़े का हत्यारा अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम मस्जिद में ज़हर में डूबी हुई तलवार लिए हुए सोने का बहाना किये हुए मस्जिद में था। हज़रत अली जब नमाज़ पढ़ाने लगे और सजदे में गए तब इब्ने मुलजिम ने जहर में बुझी तलवार हज़रत अली की गर्दन पर मार दी ,वह ज़ख्मी हो गए और उन्हें कंबल में लिटाकर घर ले जाया गया। इसी कंबल में लिटाकर ले जाने की याद में ये गिलीम का ताबूत निकाला जाता है। गिलीम का मतलब कंबल और ताबूत का मतलब जनाज़ा होता है।
इफ्तारी-मंगलवार की शाम
सुन्नी-6:48 बजे
शिया-6:58
सहरी बुधवार को
सुन्नी-3:46 बजे
शिया-3:39 बजे