खूब है बिजली, नए प्लांट नहीं चाहता पॉवर कॉरपोरेशन
राज्य में बिजली की मांग तो औसतन आठ फीसद की दर से बढ़ रही है, लेकिन उसमें दिन-रात और बदलते मौसम के अनुसार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव है।
लखनऊ, [अजय जायसवाल]। भले ही पूर्व के वर्षो में आपको घंटों बिना बत्ती-पंखा के रहना पड़ता था लेकिन, अब राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं है। खास तौर से पीक आवर्स को छोड़कर तो सरप्लस बिजली है। सरप्लस महंगी बिजली से लगती चपत के मद्देनजर पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन अगले एक दशक तक 24 घंटे बिजली उत्पादन वाले राज्य में नए पॉवर प्लांट कतई नहीं चाहता है।
राज्य में बिजली की मांग तो औसतन आठ फीसद की दर से बढ़ रही है, लेकिन उसमें दिन-रात और बदलते मौसम के अनुसार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव है। मसलन, गर्मियों में बिजली की मांग, जहां 20 हजार मेगावाट से अधिक पहुंचती है वहीं आजकल तकरीबन 13 हजार मेगावाट के आसपास है। वर्तमान में थर्मल प्लांट से 13615, हाइड्रो से 3351 और सौर ऊर्जा आदि से 1965 यानी कुल 18931 मेगावाट बिजली का उत्पादन है। ऐसे में कारपोरेशन को बजाज की 1980 मेगावाट की ललितपुर व चीनी मिल की 450 मेगावाट, रोजा की 1200 मेगावाट व पारीछा आदि की उत्पादन यूनिटें बंद रखनी पड़ रही हैं। इसके बावजूद कॉरपोरेशन को फिक्स चार्ज देना पड़ रहा है। मसलन, ललितपुर से सिंतबर में जहां कॉरपोरेशन को 12.67 रुपये यूनिट बिजली पड़ी वहीं चीनी मिल में लगे प्लांट की बिजली 8.13 व रोजा की 4.95 रुपये यूनिट बिजली मिली है। विष्णु प्रयाग से 1.21 रुपये, सासन से 1.34, लेंको से 2.87, पीटीसी से 4.85 रुपये यूनिट तक ही बिजली पड़ी है।
प्रमुख सचिव ऊर्जा और पॉवर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि एमओयू रूट के पॉवर प्लांट में फिक्स चार्ज अरबों रुपये देने होते हैं। वर्ष 2030 तक बिजली की मांग, निर्माणाधीन प्लांट व सौर ऊर्जा आदि की बिजली के आकलन से साफ है कि वर्ष 2027 तक 24 घंटे बिजली देने वाले नए प्लांट की आवश्यकता ही नहीं है। 2027 से पहले नए पावर प्लांट लगाए जाने से कारपोरेशन पर फिक्स चार्ज का खर्चा ही बढ़ेगा। आगे पीक आवर्स में ही अतिरिक्त बिजली चाहिए जिसे बाजार या दूसरे माध्यम से लेना काफी सस्ता पड़ेगा।
बजाज व रिलायंस को लग सकता है झटका
नए पावर प्लांट को लेकर कारपोरेशन के रुख से बजाज और रिलायंस को झटका लग सकता है। निजी क्षेत्र में बजाज ने ललितपुर में 1980 मेगावाट और रिलायंस ने शाहजहांपुर के रोजा में 1200 मेगावाट का पावर प्लांट एमओयू रूट के माध्यम से लगा रखा है। उक्त क्षमता तक दोनों कंपनियों प्लांट का विस्तार कर सकती हैं। कंपनियां ही नहीं राज्य सरकार भी निवेश को बढ़ाने के लिए चाहती है कि नए पावर प्लांट लगाए जाएं। हालांकि, प्रबंधन कंपनियों के प्लांट की महंगी बिजली व निर्माणाधीन प्लांट को देखते हुए बिल्कुल नहीं चाहता है कि सरकार 2027 से पहले बिजली के किसी नए प्लांट की मंजूरी अभी दे। एक पावर प्लांट के निर्माण में चार से पांच वर्ष लगते हैं।
तीन वर्ष में बढ़ेगा 7260 मेगावाट बिजली का उत्पादन
प्रमुख सचिव ने बताया कि अगले तीन वर्ष में 660 मेगावाट क्षमता वाली 11 यूनिटों से बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा। निर्माणाधीन इन यूनिटों की बिजली चार से पांच रुपये यूनिट होगी। इनमें हरदुआगंज विस्तार तापीय परियोजना की 660, ओबरा सी की 1320, पनकी विस्तार की 660, जवाहरपुर की 1320, मेजा की 1320 व घाटमपुर की 1980 मेगावाट क्षमता है।