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जानलेवा हो सकता है पोस्ट पार्टम हेमरेज, बचाव के लिए एंटी नेटल चेकअप बेहद जरूरी

गर्भावस्था में एंटी नेटल चेकअप बेहद जरूरी। लखनऊ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी सोसायटी (लॉग्सी) की ओर से जस्टोसिस पर आयोजित हुई कार्यशाला।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 09:24 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 08:39 AM (IST)
जानलेवा हो सकता है पोस्ट पार्टम हेमरेज, बचाव के लिए एंटी नेटल चेकअप बेहद जरूरी
जानलेवा हो सकता है पोस्ट पार्टम हेमरेज, बचाव के लिए एंटी नेटल चेकअप बेहद जरूरी

लखनऊ, जेएनएन। प्रेग्नेंसी में कई बार हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज और मोटापे की वजह से प्लेसेंटा में खराबी आ जाती है। इसकी वजह से बच्चे को पोषण नहीं मिल पाता है। कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं को अत्याधिक रक्तस्राव होने लगता है। इसे पोस्ट पार्टम हेमरेज (पीपीएच) कहते हैं। इसकी वजह से मां की मौत तक हो जाती है। इससे बचने के लिए एंटी नेटल चेकअप बेहद जरूरी होता है।

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यह जानकारी मुंबई की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुचित्रा पंडित ने लखनऊ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी सोसायटी (लॉग्सी) की ओर से जस्टोसिस पर आयोजित कार्यशाला में दी। कंवेंशन सेंटर में कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने किया।

डॉ. सुचित्रा ने बताया कि अधिकतर महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती है। इसे प्री इक्लेम्शिया कहते हैं, अगर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित नहीं किया गया तो बच्चे की ग्रोथ रुक जाती है। वहीं डिलीवरी के समय या पहले से ही मरीज को झटके आने लगते हैं। ऐसे में जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा रहात है। इसलिए महिलाओं को हायर सेंटर में इलाज करवाना चाहिए और ब्लड प्रेशर नियमित करने की दवा लेनी चाहिए।

पोस्ट पार्टम हेमरेज रोकने में कारगर है नई तकनीक
हैदराबाद की डॉ. शांता कुमार ने बताया कि गर्भावस्था में कई बार प्लेसेंटा यूट्रस से जुड़ी रह जाती है। इसकी वजह से डिलीवरी के समय अत्याधिक रक्तस्राव होने लगता है। यह सबसे गंभीर स्थिति होती है। इसमें कई बार बच्चेदानी निकालनी तक पड़ जाती है। इससे बचने के लिए यूटेराइन आर्टरी इंबोलाइजेशन किया जाता है।

इमरजेंसी में महत्वपूर्ण है पंप और प्रेशर तकनीक
केजीएमयू की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पा शंखवार ने बताया कि कई बार गर्भवती गंभीर हालत में अस्पताल में आती हैं। ऐसे में  इमरजेंसी में हर तरह से तैयार रहना पड़ता है। इसमें पंप एंड प्रेशर तकनीक काफी महत्वपूर्ण है। इसमें मरीज को तुरंत ट्यूब, आइवी फ्ल्यूड, ऑक्सीजन से लेकर मॉनीटर भी लगाने पड़ते हैं।

सिखाई गई तकनीक
केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. उर्मिला सिंह ने बताया कि पोस्ट पार्टम हेमरेज से बचने के लिए क्वीनमेरी अस्पताल में बैलून टैम्पोनाड तकनीक इजाद की है। इसमें एक बैलून को आइवी फ्ल्यूड से जोड़ दिया जाता है। जिसे यूट्रस में डालकर फ्ल्यूड भर दिया जाता है, जिससे यूट्रस की वाल में दबाव पड़ता है और ब्लीडिंग़ रुक जाती है।

गंभीर समस्या है शोल्डर डिस्टोशिया
प्रो. सुजाता देव ने बताया कि कई बार नार्मल डिलीवरी के समय बच्चे का सिर तो बाहर आ जाता है, लेकिन कंधा फंस जाते हैं। इसे शोल्डर डिस्टोशिया कहते हैं। यह बेहद गंभीर समस्या होती है। इसे देखते हुए लेबर रूम में ही कई तरह की तकनीक अपनाई जाती है। यह समस्या अधिकतर मोटी, डायबिटिक महिलाओं में होती है। 


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