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अस्पतालों में बच्चों को पिला दी घटिया सीरप, कई बैचों के नमूने फेल Lucknow news

यूपी मेडिकल सप्लाईज कॉर्पोरेशन ने प्रदेश भर में दवा के व‍ितरण पर रोक लगा दी है। साथ ही दवा वापसी के आदेश जारी कर द‍िए हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 10:14 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 10:14 AM (IST)
अस्पतालों में बच्चों को पिला दी घटिया सीरप, कई बैचों के नमूने फेल Lucknow news
अस्पतालों में बच्चों को पिला दी घटिया सीरप, कई बैचों के नमूने फेल Lucknow news

लखनऊ, जेेेेएनएन। सरकारी अस्पतालों में घटिया दवा सप्लाई का खेल जारी है। अब बच्चों को उल्टी में दी जाने वाली सीरप गुणवत्ताविहीन निकली। उसके सभी बैच फेल हो गए। ऐसे में यूपी मेडिकल सप्लाईज कॉर्पोरेशन ने प्रदेश भर में वितरण पर रोक लगा दी है।

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राजधानी समेत राज्य में लगभग 174 अस्पताल हैं। इसके अलावा 853 सीएचसी व 3621 पीएचसी संचालित हैं। इन सभी पर फार्मा कंपनियों द्वारा घटिया दवा-सीरप भेजने का खेल जारी है। सितंबर में ही कई दवाओं के नमूना जांच में फेल हो चुके हैं। वहीं अब हैदराबाद की मेसर्स रिवत लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की सीरप खराब निकली। कंपनी ने उप्र मेडिकल सप्लाईज कार्पोरेशन के जरिए प्रदेश भर के अस्पतालों को ओनडेनसेट्रान ओरल सोल्यूशन की आपूर्ति की थी। इसके बैच नम्बर आरओएसएस 9012, 9015, 9016, 9017 व 9018 की लाखों सीरप अस्पतालों में खपा दी गईं।

वहीं बाद में लखनऊ ट्रांसपोर्ट नगर स्थित वेयरहाउस से दवा के नमूने लिए गए। इन्हें जांच के लिए मेसर्स अल्काटेक रिसर्च लैबोरेटरीज भेजा गया। सभी बैचों के नमूने फेल हो गए। ऐसे में मेडिकल सप्लाईज कॉर्पोरेशन के गुणवत्ता नियंत्रक प्रबंधक ने सीरप वितरण पर रोक लगा दी। 23 सितंबर को अस्पताल को पहुंचे पत्र से हड़कंप हो गया। कई स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों में हजारों बच्चों को यह सीरप बांट दी गई थी। ऐसे में बच्चों को घटिया सीरप पिलाने पर क्या कार्रवाई होगी, यह तो सरकार ही तय करेगी। हालांकि कंपनी को नोटिस जारी करने के दावे किए जा रहे हैं।

कब-कब कौन दवा फेल

  • मेर्सस हिलर्स लैब ने चार जून 2019 को सरकारी अस्पतालों को फ्लूकोनाजॉल-150 एमजी की टैबलेट दीं। यह एंटी फंगल दवा है। राजधानी स्थित ट्रांसपोर्ट नगर के वेयरहाउस से बैच नंबर एफएलयू 506 दवा की 50 टैबलेट जांच के लिए आईटीएल लैब भेजी गईं। 28 अगस्त को प्रयोगशाला की रिपोर्ट आई। इसमें नमूना फेल पाया गया। दवा मानकों के अनुसार नहीं मिली।
  • मेसर्स हिमालया मेडिटेक प्राइवेट लिमटेड ने तीन नवम्बर 2018 को रेनिटीडीन हाइड्रोक्लोराइड इंजेक्शन अस्पतालों को भेजा। इसका आईपी बैच नंबर एचएलआई 849-के रहा। गाजियाबाद व झांसी के मुख्य औषिध भंडरार से 27 जून 2019 को इंजेक्शन का नमूना लिया गया। इसे जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित राजकीय जन विश्लेषक क्षेत्रीय औषधि प्रयोगशाला में भेजा गया। रिपोर्ट में नमूना फेल हो गया।
  •  छह जून 2019 को अस्पतालों में एंटीबायोटिक क्लॉक्सासिलीन सोडियम 250 एमजी एंटीबायॉटिक कैप्सूल की आपूर्ति की। राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर के वेयर हाउस से 25 जुलाई को कैप्सूल के नमूने लिए गए गए। कैप्सूल की गुणवत्ता की जांच कराई गई। जिसमें बैच नंबर 19 सी-बीसी 018 फेल हो गया।
  • 26 मार्च को अस्पतालों में एंटी बैक्टीरियल निओमाइसिन सलफेट, पोलीमिक्सिन-बी सलफेट एंड बेसीट्रेसिन जिंक पाउंडर की सप्लाई की गई। मेसर्स ग्रैम्पस लैब्रोरेट्री ने दवा की आपूर्ति की है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण के ड्रग इंस्पेक्टर ने गौतमबुद्ध संयुक्त चिकित्सालय से दवा का नमूना एकत्र किया। बैच नंबर जीएलईपी-181020 की दवा चंडीगढ़ स्थित राजकीय विश्लेषक आरडीटीएल में जांच में फेल हो गई।

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