वाह रे विभाग! मेरठ में रिजेक्ट खटारा बसें लखनऊ के लिए करेक्ट
21 खटारा बसें लखनऊ की सड़कों पर दौड़ाई जा रहीं। 10 साल का संचालन पूरा हो चुका हो। 11 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर ली हो।
लखनऊ, [नीरज मिश्र। एक तरफ जानलेवा हो रहे वायु प्रदूषण को रोकने की कोशिशें हो रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ परिवहन विभाग के अफसर एनसीआर से रिजेक्ट बसों को राजधानी में संचालन की अनुमति देकर हवा को और जहरीला करने का काम कर रहे हैं।
परिवहन निगम की जिन दस साल पुरानी करीब 26 बसों को एनसीआर क्षेत्र से रिजेक्ट कर दिया गया था। उनमें 21 बसों का संचालन लखनऊ में कराया जा रहा है। जबकि पांच बसें अभी आनी शेष हैं। दरअसल, बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एनसीआर क्षेत्र में डीजल के दस साल से अधिक पुराने वाहनों को हटाने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद ही मेरठ रीजन ने अपनी 21 खटारा बसों को लखनऊ की सड़कों पर दौड़ाने के लिए भेज दिया। सवाल है कि जब मेरठ रीजन से प्रदूषण के चलते बसें रिजेक्ट कर दी गयीं तो फिर लखनऊ में उनको कैसे चलने दिया जा रहा है। जबकि यहां भी प्रदूषण का स्तर अपने खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। प्रदूषण कम करने के लिए सरकार के स्तर से तमाम प्रयास हो रहे हैं मगर परिवहन विभाग नियम-कानूनों के बहाने पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
मुख्य प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक)जयदीप वर्मा का कहना है कि मेरठ रीजन की बसें दस साल पुरानी हैं लेकिन कम चली होने कारण नीलामी की शर्ते पूरी नहीं करती हैं। जैसे ही निर्धारित किलोमीटर पूरे हो जाएंगे रूट से हटा दिया जाएगा।
कटघरे में परिवहन विभाग
- एनसीआर क्षेत्र के लिए अनफिट वे लखनऊ में कैसे फिट?
- प्रदूषण को देखते हुए नियमों में बदलाव क्यों नहीं?
- खटारा बसों का संचालन रोकने पर बोर्ड सक्रिय क्यों नहीं?