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दिल्ली ही नहीं लखनऊवासियों को भी शुद्ध पेयजल नहीं नसीब, हलक से उतर रहा है घूंट-घूंट ‘जहर’

लखनऊवासी प्रदूषित पानी पीने को हैं मजबूर राजभवन कॉलोनी तक का सैंपल भी हो चुका फेल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 09:21 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 09:21 AM (IST)
दिल्ली ही नहीं लखनऊवासियों को भी शुद्ध पेयजल नहीं नसीब, हलक से उतर रहा है घूंट-घूंट ‘जहर’

लखनऊ, जेएनएन। पीने योग्य पानी के मामले में देश की राजधानी का ही रिकॉर्ड खराब नहीं है। शुद्ध पानी के मामले में 15 वें पायदान पर खड़े लखनऊ की स्थिति भी कुछ खास नहीं है। वहीं गोमती का जलस्‍तर कम होने की वजह से बढ़ रहा प्रदूषण 

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गाहे बगाहे शहर की जलापूर्ति की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े होते रहे हैं। सेहत के लिहाज से भी पानी की खतरनाक माना जाता रहा है। शिकायतों का तो जैसे अंबार लगा रहता है। सीवर युक्त पानी की सप्लाई तो आम है। पुराने शहर के साथ ही नए इलाके भी इस मुश्किल से अछूते नहीं है। आलम यह है, लोगों को पानी शोधन यंत्र तक लगाना पड़ा है। जून 2018 और फरवरी 2019 में दो बार गोमती नदी में पानी की कमी से प्रदूषण की मात्र ग्राफ काफी ऊपर चला गया था। इस कारण आधे शहर को काले रंग का पानी आपूर्ति होता रहा। नल खोलते ही दुर्गंध आ रही थी। नदी में नगरिया और सरकटा नाले का पानी मिलकर उसे और भी प्रदूषित कर रहा था।

पुरानी लाइन दे चुकी जवाब : लखनऊ का पानी प्रदूषित होने की एक वजह अंग्रेजी शासनकाल में पड़ी पाइप लाइन भी है, जो अब जवाब दे चुकी है। उसमें जगह-जगह लीकेज है। यह लीकेज ही पानी को अशुद्ध बना देता है।

पेयजल आपूर्ति का तंत्र : गोमती नदी से 200 एमएलडी पानी ऐशबाग जलकल को और 100 एमएलडी पानी बालागंज जलकल को जाता है। जहां कई प्रक्रिया कर उसे शोधित किया जाता है। लेकिन, पानी गंदा होने से बेहद दिक्कत होती है।

80 नमूने हुए फेल 

दिल्ली ही नहीं लखनऊवासियों को भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है। वह दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य विभाग व जलकल विभाग के ओटी टेस्ट में कई नमूने फेल हुए। अप्रैल से अक्टूबर तक चले अभियान में करीब 80 नमूने जांच में निगेटिव आए। वहीं नवंबर में टीम ने ओटी टेस्ट भी बंद कर दिया।

नौ जगह के पानी के सैंपल फेल : शहर में 16 से 24 अगस्त तक हजरतगंज, इंदिरानगर, फैजुल्लागंज, डालीबाग समेत कई जगहों से रनिंग वाटर की सैंपलिंग की गई। इसमें नौ जगह पर पानी के नमूने फेल हो गए। यह सैंपल डिगडिगा गांव शिव मंदिर गोमतीनगर, बीबीएयू छात्रवास लालबाग, सेक्टर डी अलीगंज पुरनिया चौराहा, फैजुल्लागंज, हुसड़िया चौराहा, सेक्टर-14 इंदिरानगर, ग्री काम्प्लेक्स, इंदिरानगर, मां दुर्गा माता मंदिर दारुलशफा के पास लगे रनिंग वाटर लिए गए थे।

हजरतगंज में बैक्टीरिया की हो चुकी पुष्टि : हजरतगंज में गत वर्ष मई में भी सैंपल जांच के लिए संचारी रोग विभाग की स्टेट लैब में भेजा गया था। जहां पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। यही नहीं कॉलीफॉर्म की रेंज 180 से अधिक पाई गई, जो कि डेंजर लाइन को भी पार कर गई थी।

इन क्षेत्रों का पानी भी नहीं मिला था पीने योग्य

जुलाई के पहले सप्ताह में 62 सैंपल संग्रह किए गए। इसमें 10 जगहों के सैंपल फेल हो गए हैं। यह इलाके बादशाहनगर रेलवे कॉलोनी, निशातगंज ब्रिज, क्रिश्चियन कॉलेज के सामने गोलागंज, लक्ष्मणपुरी गेट फैजाबाद रोड, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय गोमतीनगर, राजकीय चीनी निगम, विपिन खंड, गुलिस्तां कॉलोनी, हजरतगंज, राजेश्वर मंदिर के सामने स्टैंड पोस्ट रनिंग वाटर, राजभवन कॉलोनी, हजरतगंज, आरोग्य फिटनेस सेंटर के निकट विकास नगर त्रिवेणी नगर रहे।

शारदा नदी से पानी आने पर मिलती राहत

शारदा नदी का पानी गोमती नदी में छोड़े जाने के बाद ही गोमती नदी को प्रदूषण से राहत मिल पाती है। तब गोमती बैराज का गेट खुलने से गंदगी आगे बह जाती है।

खराब पानी करता है लिवर खराब

दूषित पानी पीने से पेट में संक्रमण फैल जाता है। यही नहीं व्यक्ति हेपेटाइटिस की चपेट में भी आ जाता है। उसे पीलिया हो जाती है। व्यक्ति में बदन दर्द, पेशाब का पीला होना, हरारत, उल्टी, मिचली, भूख न लगना, पेट में दर्द की समस्या होती है।

जलकल महाप्रबंधक एसके वर्मा ने कहा कि अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। 28 बिंदुओं पर पानी की जांच की गई है, लेकिन जो जानकारी मिली है, उसमें लखनऊ में छह बिंदुओं पर पानी की गुणवत्ता सही नहीं मिली है। अब देखना है कि पानी के नमूने निजी बोरवेल से लिए गए थे या फिर शहर में हो रही जलापूर्ति से। गर्मी में गोमती नदी में प्रदूषण बढ़ने से पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।

यह है रिपोर्ट : भारतीय मानक ब्यूरो ने देश के कई शहरों में पानी की गुणवत्ता की जांच की थी। इसमें लखनऊ को पंद्रहवें नंबर पर रखा गया था।


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