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गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में ईडी की छापेमारी से सपा सरकार पर हमलावर भाजपा

खनन घोटाले के बाद रिवर फ्रंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी को मुद्दा बनाकर भाजपा पूर्ववर्ती सपा सरकार पर हमलावर हो गई है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 07:57 AM (IST)
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में ईडी की छापेमारी से सपा सरकार पर हमलावर भाजपा

लखनऊ, जेएनएन। खनन घोटाले के बाद रिवर फ्रंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी को मुद्दा बनाकर भाजपा पूर्ववर्ती सपा सरकार पर हमलावर हो गई है। उल्लेखनीय है कि आज इस घोटाले को लेकर ईडी ने लखनऊ के रिशु कंस्ट्रक्शन के कई ठिकानों पर छापा मारा। कंपनी को बिना योग्यता काम मिला और कई जगह पर बिना काम भुगतान हुआ है। आज की छापेमारी में करीब सात ठिकानों पर ईडी की टीम ने पहुंचकर अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया।गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में ईडी के रडार पर करीब आधा दर्जन कंपनियां हैं। 

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भ्रष्टाचार में सपा ने मां गोमती को भी नहीं बख्शा

भाजपा  के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि छापेमारी से भ्रष्टाचारियों में हड़कंप मच गया है। इससे साबित हो गया कि अखिलेश यादव की सरकार में काम नहीं सिर्फ और सिर्फ कारनामे हुए। सपाइयों ने मां गोमती को भी भ्रष्टाचार से नहीं बख्शा। अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अगुवाई में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ तगड़ी कार्रवाई हो रही है। इससे भ्रष्टों को पनाह देने वाले दलों में बौखलाहट मची है। ये दल गठबंधन का राग अलाप रहे हैं। उन्होंने कहा कि खनन घोटाले की जांच पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचने लगी है। इस बात के पुख्ता प्रमाण मिलने लगे हैं कि घोटाले में गायत्री प्रजापति ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री और कई आइएएस अफसरों की सहभागिता थी। 

कुछ इस तरह होना था काम

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के तहत लखनऊ के बीचोंबीच बहने वाली गोमती नदी के 13 किलोमीटर लंबे किनारों का सुंदरीकरण किया जाना था। प्रोजेक्ट पहले 656 करोड़ और बाद में 1513 करोड़ का हो गया। इस रकम का 95 फीसद यानी 1435 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद सिर्फ 60 फीसद काम हुआ। प्रोजेक्ट में नदी के दोनों किनारों पर डायफ्रॅम वॉल और  लैंडस्केपिंग करके खूबसूरत लॉन बननी थी। परमानेंट और मौसमी फूलों की क्यारियां…साइकल ट्रैक, जॉगिंग ट्रैक, वॉकिंग प्लाज़ा बनना था। 45 करोड़ लागत से फव्वारा आया गया था जिसके चलने पर लेज़र लाइट के ज़रिए लखनऊ के मॉन्युमेंट्स की तस्वीर बनती। चार करोड़ की लागत से वॉटर बस  आई थी जो पहले लखनऊ की सैर कराती और फिर गोमती नदी में भी घुमाती।


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