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प्रजापति को बेल दिलाने में पुलिस एक्स्ट्रा एक्टिव, अब झेलेंगे जांच

गायत्री प्रजापति की बेल के बाद रिहाई आदेश पर पुलिस के एक्स्ट्रा एक्टिव होने में बड़ा खेल सामने आया। इस मामले में अमेठी के इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया, जबकि अन्य भी रडार पर हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 06:10 PM (IST)
प्रजापति को बेल दिलाने में पुलिस एक्स्ट्रा एक्टिव, अब झेलेंगे जांच
प्रजापति को बेल दिलाने में पुलिस एक्स्ट्रा एक्टिव, अब झेलेंगे जांच

लखनऊ (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जेल में बंद गैंगरेप के आरोपित पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को परसों मिली जमानत के बाद पुलिस के अति सक्रिय होने में बड़ा खेल सामने आया है। शीर्ष अधिकारियों की बिना संस्तुति के केस डायरी कोर्ट में भेज दी गई। 

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इस मामले में अमेठी के इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया है, जबकि अन्य भी रडार पर हैं। गायत्री प्रजापति की बेल के बाद रिहाई आदेश पर पुलिस के एक्स्ट्रा एक्टिव होने में बड़ा खेल सामने आया है। लखनऊ के डीआईजी रेंज प्रवीण कुमार ने सख्त रुख अपनाते हुए गायत्री प्रजापति के जमानतदारों के सत्यापन में अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मदद करने वाले इंस्पेक्टर-मुंशीगंज एके सिंह को निलंबित कर दिया है। विवेचक सीओ-हजरतगंज अवनीश मिश्रा भी जांच के घेरे में हैं। एसएसपी लखनऊ से पूरे मामले में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। 

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अफसरों को नहीं दिखाई केस डायरी

कोर्ट ने गायत्री मामले में विवेचक से केस डायरी तलब की थी। अमूमन कोर्ट में केस डायरी पेश करने से पहले विवेचक को पर्यवेक्षण अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। इस मामले में सीओ अवनीश मिश्र ने पर्यवेक्षण अधिकारी एएसपी पूर्वी शिवराम यादव, एसएसपी मंजिल सैनी और डीआईजी-रेंज प्रवीण कुमार में से किसी को भी केस डायरी नहीं दिखाई। उन्होंने इसे सीधे कोर्ट में पेश कर दिया। गायत्री को बेल की जानकारी मिलते ही प्रवीण कुमार ने लखनऊ जिले के अफसरों और विवेचक की बैठक बुला ली। इसके बाद गायत्री को जेल से बाहर आने से रोकने के लिए पुलिस लखनऊ में दर्ज तीन अन्य मामलों में कोर्ट पहुंच गई।

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हाई कोर्ट जाएगी पुलिस

गायत्री की बेल के खिलाफ पुलिस आज हाई कोर्ट में अपील करेगी। जमानत प्रक्रिया में पुलिस की तरफ से विधिक प्रक्रिया का पूरी तरह पालन नहीं हुआ। बेल के खिलाफ पुलिस की तरफ से कोर्ट में कोई पत्र नहीं दाखिल किया गया। विवेचक ने वैज्ञानिक साक्ष्यों जैसे सीडीआर को भी केस डायरी में शामिल नहीं किया।

विवेचक ने गुमराह किया

मामले के विवेचक सीओ-हजरतगंज ने वरिष्ठ अफसरों को दिखाए बिना केस डायरी कोर्ट में पेश कर दी। साफ जाहिर है कि सीओ ने आरोपित को बचाने के लिए वरिष्ठ अफसरों को गुमराह किया। उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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गायत्री प्रसाद प्रजापति कीपैरोकारी करना एसओ को पड़ा महंगा

आम आदमी के जमानत के कागज का सत्यापन कराने में बेहद सुस्त रहने वाली अमेठी पुलिस पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर बेहद मेहरबान रही। इसी मेहरबानी का खामियाजा अब थानाध्यक्ष को महंगा पड़ा गया है। गायत्री प्रजापति व उनके प्रतिनिधि अमरेंद्र सिंह पिंटू के जमानत के कागज अमेठी पहुंचने पर उसको हाथों-हाथ देने और पैरवी करने वाले एसओ मुशीगंज को एसपी ने निलंबित कर दिया। पूर्व कैबिनेट मंत्री व अमेठी विधायक रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति व उनके प्रतिनिधि अमरेंद्र सिंह पिंटू सहित करीबियों पर सामूहिक दुष्कर्म का मामला लखनऊ में दर्ज किया गया था। सुनवाई लखनऊ के पाक्सो कोर्ट पर की जा रही थी।

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पूर्व कैबिनेट मंत्री व उनके प्रतिनिधि समेत विकास वर्मा को जमानत दी गई थी। जमानत मिलने के बाद अमेठी कोतवाली पर पूर्व मंत्री के कागजात पहुंचे। संग्रामपुर में प्रतिनिधि अमरेंद्र सिंह के कागजात पहुंचे थे। कागजात पहुंचने के बाद मुंशीगंज थाने पर तैनात एसओ आरके सिंह ने अमेठी थानाध्यक्ष विनोद मिश्रा व संग्रामपुर थानाध्यक्ष दीपेंद्र सिंह को फोन कर स्वीकृति के साथ हाथों हाथ कागजात हस्ताक्षर कर देने का दबाव बनाया। मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक से की गई। इसके बाद एसपी ने तत्काल प्रभाव से मुंशीगंज एसओ को निलंबित कर दिया। मामले में जांच के आदेश भी दिए हैं। इस मामले में तहसील प्रशासन के पास कोई भी जमानतदार नहीं पहुंचा। अब मामले को तूल पकड़ता देख तहसील में किसी भी जमानतदार ने कोई आवेदन नहीं प्रस्तुत किया।


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