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यूपी में जल्द बनेगी पुलिस स्टेशन मैनेजमेंट हैंडबुक ...ताकि दोबारा न हो कानपुर का बिकरू कांड

उत्तर प्रदेश में कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड जैसी किसी वारदात की पुनर्रावृत्ति न हो इसके लिए एक ऐसी पुस्तिका की कल्पना की गई है जो पुलिसकर्मियों के लिए गाइड का काम करे। एसआइटी ने इसके लिए पुलिस स्टेशन मैनेजमेंट बुक की व्यवस्था की सिफारिश की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 07:15 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 08:12 AM (IST)
यूपी में जल्द बनेगी पुलिस स्टेशन मैनेजमेंट हैंडबुक ...ताकि दोबारा न हो कानपुर का बिकरू कांड
बिकरू कांड जैसी किसी वारदात की पुनर्रावृत्ति न हो इसके लिए पुलिस स्टेशन मैनेजमेंट बुककी कल्पना की गई है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड की एसआइटी जांच समुद्र मंथन से कम नहीं है। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) ने अपनी सिलसिलेवार जांच में कुख्यात विकास दुबे, उसके गिरोह के सदस्यों व स्थानीय पुलिस की काली करतूतों से नकाब हटाया है तो उसकी कसरत से पुलिस सुधार का अमृत भी निकला है।

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बिकरू कांड जैसी किसी वारदात की पुनर्रावृत्ति न हो इसके लिए एक ऐसी पुस्तिका की कल्पना की गई है, जो पुलिसकर्मियों के लिए गाइड का काम करे। बताया जा रहा है कि एसआइटी ने पुलिस स्टेशन मैनेजमेंट बुक में थाने पर पुलिसकर्मियों की पदवार जिम्मेदारियों को दर्ज किए जाने के साथ ही कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने व पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले डीजीपी के निर्देशों व उनके सभी सर्कुलर को भी शामिल किए जाने की सिफारिश की गई है।

एसआइटी ने थानों पर बुनियादी पुलिसिंग को मजबूत बनाने के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं। इनके तहत ही पुलिस स्टेशन मैनेजमेंट बुक बनाकर उसमें किसी घटना के बाद की जाने वाली कार्रवाई को विस्तार से बताए जाने को कहा गया है। मसलन, किसी घटना के बाद थानाध्यक्ष से लेकर दारोगा, मुंशी व सिपाही तक की जिम्मेदारी क्या होगी और किसी लापरवाही अथवा अनदेखी के लिए कौन जवाबदेह होगा।

इसके अलावा किसी घटना के बाद किस स्तर से क्या कार्रवाई की जाएगी। किसी मामले में आरोपपत्र यदि वापस किया गया अथवा कोर्ट में दाखिल किए जाने से पहले उसमें कोई बदलाव किया गया तो किस स्तर से हुआ। यदि किसी मामले में आरोपित कोर्ट से बरी हो गए तो उसमें पुलिस की चूक अथवा अनदेखी किस स्तर पर हुई और उसके लिए कौन जिम्मेदार था।

आरोपितों के विरुद्ध यदि शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने से लेकर अन्य अहम कार्रवाई नहीं की गई तो उसमें चूक किस स्तर पर हुई। विवेचक के अतिरिक्त अन्य संबंधित अधिकारियों की भी भूमिका तय की जाए। ऐसे कई प्रमुख बिंदुओं पर जवाबदेही तय किए जाने की सिफारिश की गई है। माना जा रहा है कि शासन स्तर पर पुलिस सुधार के बिंदुओं पर मंथन के बाद उसे परीक्षण के लिए रूल्स एंड मैनुअल में भेजा जाएगा।

तय हों एडीजी से लेकर सिपाही तक के दायित्व : एसआइटी ने जॉब कार्ड बनाकर उसमें एडीजी जोन, आइजी व डीआइजी रेंज, एसएसपी, एसपी, एएसपी, सीओ, इंस्पेक्टर, दारोगा, हेड कांस्टेबिल व सिपाही के पद के आगे उनके कार्य व जिम्मेदारियां दर्ज किए जाने की सिफारिश भी की गई है।

अधिनियम के तहत कार्रवाई भी बताएं : एसआइटी ने पुस्तिका में विभिन्न अधिनियम के तहत की जाने वाली कार्रवाई के बारे में भी विस्तर से जानकारी दिए जाने की सिफारिश की है। यानी विभिन्न अधिनियम के तहत पुलिस कार्रवाई के तहत क्या कर सकती है और क्या उसके अधिकार में नहीं है।


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