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Terror Attack Verdict : पांच अहम साक्ष्यों के बल पर पुलिस ने दिलाई सजा Lucknow news

अयोध्या के रामजन्म भूमि परिसर में हमला करने वाले आतंकियों के खिलाफ जांच करने वाले पुलिसकर्मियों को मिलेगा डीजीपी का प्रशंसा चिह्न।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 08:29 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 08:29 AM (IST)
Terror Attack Verdict : पांच अहम साक्ष्यों के बल पर पुलिस ने दिलाई सजा Lucknow news
Terror Attack Verdict : पांच अहम साक्ष्यों के बल पर पुलिस ने दिलाई सजा Lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या के रामजन्म भूमि परिसर में हमला करने वाले आतंकियों के खिलाफ पुलिस ने विवेचना के दौरान कई अहम साक्ष्य जुटाये थे, जिनके बलबूते पुलिस उन्हें सजा दिलाने में कामयाब रही। डीजीपी ओपी सिंह ने विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारियों को प्रशंसा चिह्न दिये जाने की घोषणा की है। 

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लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने पांच जुलाई 2005 की सुबह करीब 9:15 बजे अत्याधुनिक असलहों से लैस होकर रामजन्म भूमि पर हमला बोला था। सीआरपीएफ व पीएसी के जवानों ने पांच आतंकियों को मार गिराया था। आतंकी हमले में थाना रामजन्म भूमि में दर्ज एफआइआर की विवेचना तत्कालीन थानाध्यक्ष आरडी अरुण ने शुरू की थी। इसके बाद इंस्पेक्टर जेपी सिंह, केएन द्विवेदी व उप निरीक्षक राम ललित गिरि ने भी विवेचना की। अंतिम विवेचना तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक अजीत कुमार सिन्हा ने पूरी की थी, जिसके बाद पुलिस ने प्रकाश में आये आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।

एडीजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि विवेचना के दौरान पुलिस ने पांच बेहद अहम साक्ष्य जुटाये थे। पुलिस ने आरोपित अजीज व नसीम के कश्मीर से अलीगढ़ आने-जाने के साक्ष्य जुटाये। आतंकियों के द्वारा वारदात में प्रयुक्त जीप बरामद की गई, जिसमें कैविटी बॉक्स बनाये जाने के साक्ष्य मिले। आरोपित डॉ.इरफान के फोन से आतंकियों से बातचीत के साक्ष्य मिले। मारे गये आतंकी अरशद द्वारा प्रयुक्त किये जा रहे मोबाइल नंबर के फार्म से प्राप्त फोटो व अरशद की फोटो एकसमान है।

डॉ.इरफान के घर के पास सब्जी वाले व नाई ने आतंकी अरशद को पहचाना है और अरशद के भाई जुबैर के बारे में भी बताया था। हालांकि जुबैर के पते व पहचान के संबंध में कोई जानकारी सत्यापित नहीं हो सकी थी। जिस एक आरोपित मो. अजीज को कोर्ट ने बरी कर दिया, उसकी भूमिका जम्मू-कश्मीर में अरशद के नाम से लिए गये सिम के फार्म का  वैरीफिकेशन करने के रूप में आई थी। एडीजी का कहना है कि कोर्ट के आदेश देखने के बाद बरी किये गये आरोपित के मामले में अपील के बारे में विचार किया जाएगा।

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