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'बीवी बजट तो साली मानसून सत्र है'...चौक में हुई कवियों की चकल्लस

लखनऊ में चौक की चकल्लस में कवियों ने की कविताओं की बारिश मध्य प्रदेश की प्रेरणा ठाकरे बिहार के शंभू शिखर और पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीन को डॉ.अमृतलाल नागर सम्मान।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 02:55 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 02:55 PM (IST)
'बीवी बजट तो साली मानसून सत्र है'...चौक में हुई कवियों की चकल्लस
'बीवी बजट तो साली मानसून सत्र है'...चौक में हुई कवियों की चकल्लस

लखनऊ, जेएनएन। शाम-ए-अवध में बुधवार को कविताओं के रंग घुले तो श्रोता सराबोर होकर देर रात तक दाद देते नजर आए। मौका था, रंगोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को चौक में आयोजित 'चकल्लस' का। इसकी शुरुआत होलिकोत्सव समिति के अध्यक्ष गोविंद शर्मा, महामंत्री अनुराग मिश्रा, विधायक डॉ. नीरज बोरा और एमएलसी बुक्कल नवाब ने डॉ. अमृतलाल नागर सम्मान से की। यह सम्मान मध्य प्रदेश की प्रेरणा ठाकरे, बिहार के शंभू शिखर और राजधानी के पद्मश्री डॉ.योगेश प्रवीन को दिया गया। 

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अब बारी थी, अखिल भरतीय कवि सम्मेलन की। राजधानी के राकेश वाजपेयी ने 'बीवी अध्यादेश है, साली स्वेत पत्र है, बीवी बजट तो साली मानसून सत्र है...' सुनाकर तालियां बटोरी तो इंदौर से आए अतुल ज्वाला ने 'गम आंसू खामोशी को शर्मिंदा रखने के लिए, कुछ जगह रखिए हंसी का पङ्क्षरदा रखने के लिए...' सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजस्थान से आए डॉ. भगवान मकरंद ने न्याय की लचर व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कहा कि '60 साल के दादा को देखके यूं जज बोला, लड़की को छेड़ते हो शर्म नहीं आती है...' के माध्यम से कानून की बारीकियों को बताने का प्रयास किया। लखीमपुर के अनिल अमल ने 'नई भोर में नए सूर्य का उदय दिखाई देता है, सिंह शावकों वाला भारत अभय दिखाई देता है...' सुनाकर देश की ताकत का अहसास कराने का प्रयास किया। मध्य प्रदेश से आईं प्रेरणा ठाकरे ने 'नीम की निंबोरी और चांद की चकोरी देखो, गोवन की छोरी हाय कैसे शरमाए है...' सुनाकर ग्रामीण परिवेश की झलक दिखाने का सफल प्रयास किया। बिहार के शंभू शिखर ने 'अब ना हो पत्थरों की पतंग की बात हो, फागुन का महीना है उमंगों की बात हो...' सुनाया। दमदार बनारसी ने 'कविता सुख में हंसती गम में संग संग रो देती है, कविता थकते ही शब्दों के आंचल में सो लेती है...' सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। कानपुर के हेमंत पांडेय ने 'इमरान ज्यादा बोलोगे तुम्हारी दस्तार चली जाएगी, गोली चली इधर तो उस पार चली जाएगी...' सुनाकर महफिल में देशभक्ति के भाव भरे। एकता भारती ने 'तू रांझे की तरह देखे तो मैं भी हीर हो जाऊं...' सुनाकर प्रेम की परिभाषा को बताने का प्रयास किया। राजधानी के  प्रख्यात मिश्रा ने 'है जितने आज हम कल भी रहेंगे उतने ही निर्भय, हमारे चिथड़े बोलेंगे माता भारती की जय...' सुनाया। बिहार के शंभू शिखर समेत कई कवियों ने अपनी रचनाओं से देर रात तक श्रोताओं को बैठने पर मजबूर किया। होलिकोत्सव समिति के महामंत्री अनुराग मिश्रा 'अन्नू' ने बताया कि हिंदू-मुस्लिम एकता को साहित्यसूर्य पं. अमृतलाल नागर ने 'चकल्लस' की शुरुआत की थी। उपाध्यक्ष ओम प्रकाश दीक्षित और विष्णु त्रिपाठी 'लंकेश' के साथ ही मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन सहित कई गणमान्य लोगों की भागीदारी से पिछले छह दशक से 'चकल्लस' का आयोजन हो रहा है।


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