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Ayodhya : रामलला के पांव पखारने को आतुर विकास की गंगा, PM मोदी के हाथों होगी सौगातों की बरसात

Ayodhya अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने पांच अगस्त को आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 487.91 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 07:22 PM (IST)
Ayodhya : रामलला के पांव पखारने को आतुर विकास की गंगा, PM मोदी के हाथों होगी सौगातों की बरसात
Ayodhya : रामलला के पांव पखारने को आतुर विकास की गंगा, PM मोदी के हाथों होगी सौगातों की बरसात

लखनऊ, जेएनएन। पावन रामनगरी अयोध्या दशकों तक विवाद का दंश झेलने के साथ विकास से भी अछूती रही। केंद्र और फिर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद न सिर्फ राम मंदिर निर्माण की राह खुली, बल्कि इस शुभ घड़ी के सत्कार के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या को अपने एजेंडे में प्राथमिकता पर रखा। आज विकास की गंगा रामलला के पांव पखारने को आतुर नजर आ रही है। भव्य मंदिर निर्माण के भूमिपूजन के साथ ही करोड़ों की योजनाएं पूरी होने जा रही हैं। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने पांच अगस्त को आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 487.91 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। अयोध्या में इसकी तैयारी जोरों पर चल रही है।

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उत्तर प्रदेश को पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भी धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन के लिहाज से महत्व और बढ़ जाता है। पिछली सरकारों की बेशक इस तरफ से बेरुखी रही, लेकिन केंद्र के बाद उत्तर प्रदेश में भगवा सरकार आने के बाद धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन की पताका काशी, मथुरा, वृंदावन, नैमिषारण्य, चित्रकूट से लेकर अयोध्या आदि धर्मनगरियों के लिए विकास योजनाओं को गति दी गई। ऐसे कई आयोजन शुरू किए गए। अब जबकि पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का भूमिपूजन करने आ रहे हैं, तो दुनिया की नजर इस पावन धरा की ओर है। मंदिर निर्माण के साथ ही यहां नव्य अयोध्या के विकास का खाका खींचा जा रहा है। वहीं, योगी सरकार यह संदेश लेकर तैयार है कि अयोध्या सिर्फ उसके राजनीतिक एजेंडे में नहीं, बल्कि विकास के एजेंडे में भी प्राथमिकता पर थी।

सत्ता में आते ही योगी सरकार की राम नगरी को सौगात : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने चौतरफा विकास का संदेश देने की नींव वर्ष 2017 में सत्ता में आते ही रख दी थी। पर्यटक सुविधा सहित अवस्थापना सुविधाओं की योजनाओं के लिए जितनी धनराशि स्वीकृत की गई, वह प्राथमिकता के आधार पर अवमुक्त भी की गई। यही वजह है कि मंदिर निर्माण की नींव के साथ-साथ राम की पैड़ी पर 25 करोड़ रुपये से पंप हाउस की री-मॉडलिंग, 28 करोड़ रुपये से चैनल की री-मॉडलिंग, साढ़े पैतीस करोड़ से गुप्तार घाट का विकास कार्य, साढ़े बारह करोड़ रुपये से राम की पैड़ी का विकास, पौने तीन करोड़ रुपये से दिगंबर अखाड़ा में मल्टीपर्पज हॉल का निर्माण पूरा हो चुका है। इसी तरह अन्य योजनाएं 80 फीसद या पचास फीसद तक हो चुकी हैं। लगभग 350 करोड़ रुपये की यह सभी योजनाएं इस वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएंगी। इसके अलावा सड़क निर्माण, घाट व कुंडों का पुनरोद्धार सहित करोड़ों के काम यहां होने हैं। कई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण पांच अगस्त को होना है।

प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पित होने वाली योजनाएं : 134.67 करोड़ की लागत से बना राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, स्वदेश दर्शन योजना के रामायण सर्किट के अंतर्गत 10.22 करोड़ की लागत से हुए लक्ष्मण किला घाट का निर्माण, 07.40 करोड़ की लागत से नए बस अड्डे का निर्माण, 06.87 करोड़ की लागत से 200 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता का पुलिस बैरक और 02.37 करोड़ की लागत से मंडलीय चिकित्सालय दर्शननगर में प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट का निर्माण कार्य शामिल है। 161.53 करोड़ की इन परियोजनाओं के लोकार्पण के साथ ही प्रधानमंत्री 326.38 करोड़ की परियाेजनाओं का शिलान्यास भी करेंगे, जिसमें 54.56 करोड़ की नगर निगम अयोध्या पेयजल योजना फेज-3, अयोध्या शोध संस्थान के अंतर्गत 16.82 करोड़ से तुलसी स्मारक भवन के अत्याधुनिकीकरण व निर्माण कार्य, 02.75 करोड़ की लागत से रामकथापार्क का विस्तारीकरण और 252.25 करोड़ की लागत से अयोध्या अकबरपुर-बसखारी मार्ग के चार लेन निर्माण का कार्य शामिल है, जिसकी लंबाई 36.750 किलोमीटर है, का शिलान्यास करेंगे।

राम मंदिर के साथ निर्मित होगी दिव्य उपनगरी : अयोध्या में श्रीराम मंदिर के साथ दिव्य उपनगरी भी विकसित होगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से मंदिर निर्माण के साथ 70 एकड़ के परिसर में दिव्य नगरी का खाका खिंच कर तैयार है और मंदिर निर्माण की शुरुआत के ही साथ दिव्य उपनगरी का निर्माण भी शुरू होगा। यह उपनगरी 161 फीट ऊंचे, 318 स्तंभों तथा छह शिखरों वाले राम मंदिर के साथ सत्संग भवन, रामकथा पर केंद्रित लेजर शो प्रदर्शन के लिए हनुमंत मुक्ताकाश, विशाल भोजनागार तथा सत्संग भवन से सज्जित होगी। परिसर में एक लाख लोगों के लिए आवासीय संसाधन-प्रसाधन की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायी जायेगी। नागरिक सुविधा की दृष्टि से उपनगरी सेंट्रलाइज वाटर फिल्टर प्लांट, मल्टी लेवल पार्किंग एवं ऊर्जा की आपूर्ति के लिए सोलर पैनल से सज्जित होगी और संपूर्ण उपनगरी सौर ऊर्जा से जगमगायेगी। उपनगरी में मनोहारी पार्क विकसित करने के साथ ग्रीन बेल्ट का भी पूरा ध्यान रखा जायेगा।

सीता रसोई और शेषावतार मंदिर का भी होगा निर्माण : श्रीराम जन्मभूमि के अलावा त्रेतायुगीन अन्य पौराणिक धरोहरें भी जीवंत की जाएंगी। उपनगरी की योजना में श्रीराम जन्मभूमि के ठीक उत्तर में सीता रसोई तथा दक्षिण दिशा में कुछ फासले पर शेषावतार का मंदिर लगभग उसी भौगोलिक अवस्थिति में विकसित किया जायेगा, जहां वे पारंपरिक रूप से थे। त्रेतायुगीन अंगद टीला को भी विकसित किये जाने के साथ उपनगरी हनुमत एवं अंगद द्वार से सज्जित-रक्षित होगी। रामलला के नृत्य एवं रंगमंडप से सीधे हनुमानगढ़ी का दर्शन होगा। मान्यता है कि त्रेता में यहीं हनुमान जी की सुरक्षा चौकी स्थापित थी और यहां से हनुमानगढ़ी के दर्शन के साथ रामलला की हनुमान जी से निकटता का भाव भी व्यंजित होगा। छह एकड़ के परिसर में श्रीराम मंदिर के साथ परिक्रमा मार्ग एवं पंचदेव मंदिर का भी निर्माण होगा। इसे उपनगरी के केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा। उपनगरी की परिधि पर सुरक्षा की दृष्टि से भी प्रचुर मात्रा में भू नियोजन किया गया है।

साकार होगा रामकथा कुंज का सपना : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भव्य मंदिर के साथ ही मंदिर आंदोलन के शिल्पी स्व.अशोक सिंहल ने एक ऐसे कथा कुंज का सपना देखा था, जहां प्रतिमाओं में रामलीला परिलक्षित हो। उन्होंने 1990 में अधिग्रहीत परिसर की 42 एकड़ जमीन पर ही रामकुंज विकसित करने की योजना बनाई थी। इसके लिए वर्ष 2014 में अलग से कार्यशाला की स्थापना भी की गई और मूर्तियों को भी गढ़ा जाने लगा। वर्ष 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने विवादित भूमि के इर्द-गिर्द नजूल की 42 एकड़ भूमि न्यास के नाम सौ साल के लिए पट्टा कर दी, हालांकि वर्ष 1992 में ढांचा ध्वंस के बाद जनवरी 1993 में न्यास को पट्टा की गई 42 एकड़ सहित विवादित स्थल के इर्द-गिर्द 67.77 एकड़ भूमि केंद्र सरकार ने अधिग्रहीत कर ली। भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण निषिद्ध कर दिया गया, लेकिन अब यह भूमि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपी जा चुकी है। रामकथाकुंज प्रकल्प के तहत 125 से ज्यादा प्रतिमाएं निर्मित होनी हैं। इन मूर्तियों को इस तरह बनाया जा रहा है कि यह भगवान राम के बाल्यकाल से लेकर सरयू में गुप्त होने तक के सभी प्रमुख प्रसंगों को जीवंत कर सकें।


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