कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्री का शुभारंभ किया। इस दीक्षांत समारोह में सभी छात्रों को राष्ट्रीय ब्लॉकचेन परियोजना के तहत संस्थान में विकसित एक आंतरिक ब्लॉकचेन संचालित तकनीक के माध्यम से डिजिटल डिग्री जारी की गई। ये डिजिटल डिग्री विश्व स्तर पर सत्यापित की जा सकती है और इसकी फर्जी कॉपी नहीं बनाई जा सकती।
आईआईटी कानपुर दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी भविष्य है और इसे आईआईटी कानपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से अमूल्य उपहार मिल रहे हैं। वहीं, ऑल इंडिया रेडियो ने पीएम मोदी द्वारा लॉन्च की गई इस डिजिटल डिग्री के साथ इसकी खूबियां बताता छोटा वीडियो माइक्रो-ब्लागिंग प्लेटफार्म Koo App पर शेयर किया है।
- All India Radio News (@airnewsalerts) 28 Dec 2021
समारोह के दौरान एक क्लिक में एक साथ 1723 छात्रों को ब्लॉकचेन आधारित यह अतिसुरक्षित डिजिटल डिग्री सौंपी गई। इसके साथ ही आईआईटी कानपुर देश का ऐसा प्रमुख संस्थान बन गया जिसने ब्लॉकचेन तकनीक और दुनियाभर में अनोखी पहचान वाली डिग्री का वितरण किया। अगर बात करें इस डिग्री की तो हर एक डिग्री टेंडर प्रूफ यानी छेड़छाड़ रहित, दुनियाभर में सत्यापित की जा सकने योग्य, यूजर की सहमति से देखी जा सकने वाली और केवल जिसे चाहें- वही देख सके, जैसी खूबियों से लैस है।
क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी : ब्लॉकचेन सिस्टम विकेंद्रीकरण के सिद्धांत पर काम करता है। इसका मतलब यह है कि इसका नियंत्रण किसी एक केंद्रीय एजेंसी के हाथों में नहीं है, बल्कि नोड्स के एक फैले हुए नेटवर्क के लिए है। ऐसी स्थिति में जब भले ही किसी विशिष्ट नोड को हैक कर लिया गया हो, यह डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। इसके अलावा, एक ब्लॉकचेन में जानकारी एक सटीक टाइम स्टैम्प के साथ क्रमिक रूप से रिकॉर्ड और स्टोर की जाती है। इसमें पिछली जानकारी को बदला नहीं जा सकता और केवल एक नया ब्लॉक जोड़कर संशोधित किया जा सकता है। इसके चलते किसी एक ट्रांसक्रिप्ट के साथ छेड़छाड़ करना बहुत कठिन हो जाता है।