बसपा शासनकाल में हुए चीनी मिल घोटाले में दो पूर्व आइएएस समेत 14 ठिकानों पर सीबीआइ ने मारा छापा
सीबीआइ ने बसपा शासनकाल में हुए करीब 1100 करोड़ के चीनी मिल घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने लखनऊ के अलावा सहारनपुर गाजियाबाद व दिल्ली में छापेमारी की।
लखनऊ, जेएनएन। अवैध खनन के साथ ही हथियारों की तस्करी, धन उगाही तथा अन्य बड़े अपराध के मामलों पर नरेंद्र मोदी सरकार का शिकंजा कस गया है। अब सीबीआइ ने मंगलवार को बसपा शासनकाल में हुए करीब 1100 करोड़ के चीनी मिल घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है।
सीबीआइ की टीमों ने बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रमुख सचिव तथा प्रमुख सचिव गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग रहे नेतराम (सेवानिवृत्त आइएएस) के गोमतीनगर स्थित आवास तथा बसपा सरकार में चीनी मिल निगम संघ के एमडी रहे विनय प्रिय दुबे (सेवानिवृत्त आइएएस ) के अलीगंज स्थित घर समेत 14 ठिकानों पर छापेमारी की। तत्कालीन सरकार में गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग के विभागीय मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी थे।
सीबीआइ ने लखनऊ के अलावा सहारनपुर, गाजियाबाद व दिल्ली में भी छापेमारी की। सीबीआइ ने करोड़ों रुपये की संपत्तियों सहित घोटाले से जुड़े कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिये हैं। इससे पूर्व आयकर विभाग ने लोकसभा चुनाव से पहले नेतराम व उनके करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी कर 225 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों के दस्तावेज कब्जे में लिये थे।
सीबीआइ की टीम ने मंगलवार सुबह नेतराम के लखननऊ में गोमतीनगर के विशालखंड स्थित आवास में दस्तक दे दी थी। इसी बीच विनय प्रिय दुबे के घर में भी छानबीन शुरू की गई। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ ने नामजद आरोपित मु.जावेद व वाजिद के दिल्ली निवासी सीए के बारहखंभा रोड स्थित कार्यालय व ग्रेटर कैलाश स्थित घर को भी खंगाला और कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिये हैं। आरोपित मु.जावेद व वाजिद पूर्व एमएलसी इकबाल के बेटे हैं। सहारनपुर में इकबाल व उनके बेटों के ठिकानों से भी कई अहम दस्तावेज कब्जे मेें लिये गये हैं।
सुबह नौ से शाम साढ़े पांच बजे तक चली छापामारी
बसपा के पूर्व एमएलसी मो. इकबाल और उनके सहयोगियों के घर सीबीआइ की तीन टीमों ने मंगलवार को एक साथ छापा मारा। सीबीआइ की टीम मिर्जापुर में इकबाल व उनके मुंशी तथा शहर में साउथ सिटी स्थित उनके सहयोगी के घर पहुंची। सुबह नौ बजे शुरू हुई कार्रवाई शाम साढ़े पांच बजे तक चली। माना जा रहा है कि यह छापामारी करोड़ों के चीनी मिल घोटाले में सीबीआइ की ओर से दर्ज केस के क्रम में की गई है। सीबीआइ इंस्पेक्टर आरके तिवारी के नेतृत्व में पहुंची टीम ने पुलिस लाइन से फोर्स साथ ली। एक टीम दिल्ली रोड स्थित साउथ सिटी में मो. इकबाल के सहयोगी सौरभ मुकुंद के घर तथा दो टीमें मिर्जापुर में मो. इकबाल तथा उनके मुंशी नसीम के घरों के लिए निकलीं।
इनके खिलाफ दर्ज हुई थी नामजद एफआइआर
सीबीआइ लखनऊ की एंटी करेप्शन ब्रांच ने अप्रैल माह में चीनी मिल घोटाले के मामले में दंपती समेत सात नामजद आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल 2018 को चीनी मिल घोटाले की सीबीआइ जांच कराये जाने की सिफारिश की थी। बसपा सरकार में 21 सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचकर करीब 1100 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। चीनी निगम की 10 संचालित व 11 बंद पड़ी चीनी मिलों का विक्रय वर्ष 2010-2011 में किया गया था।
सीबीआइ ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, छितौनी व बाराबंकी स्थित सात चीनी मिलें खरीदने के मामले में दिल्ली निवासी राकेश शर्मा, उनकी पत्नी सुमन शर्मा, गाजियाबाद निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, मु.जावेद, मु.वाजिद अली व मु.नसीम अहमद के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था।
गोमतीनगर थाने की एफआइआर को बनाया था आधार
चीनी मिल बिक्री घोटाले में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में सात नवंबर 2017 को दर्ज कराई गई एफआइआर को सीबीआइ ने अपने केस का आधार बनाया था। सात चीनी मिलों में हुई धांधली में सीबीआइ ने धोखाधड़ी व कंपनी अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रेगुलर केस दर्ज किया था और 14 चीनी मिलों में हुई धांधली में छह प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की गईं थीं।
एसएफआइओ ने भी की थी जांच
राज्य सरकार ने सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आर्गनाईजेशन (एसएफआइओ) से भी मामले की जांच कराई थी। जिसके बाद राज्य चीनी निगम के प्रबंध निदेशक की ओर से गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
इन फर्मों के जरिये हुआ था करोड़ों का खेल
चीनी निगम की 21 चीनी मिलों को वर्ष 2010-11 में बेचा गया था। इस दौरान नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज (कुशीनगर) व हरदोई इकाई की मिलें खरीदने के लिए 11 अक्टूबर 2010 को एक्प्रेशन ऑफ इंटरेस्ट कम रिक्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन (ईओआइ कम आरएफक्यू) प्रस्तुत किये थे। यही प्रकिया गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने भी अपनाई थी। नियमों को दरकिनार कर समिति ने दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के अगले चरण के लिए योग्य घोषित कर दिया गया था। दोनों कंपनियों की बैलेंस शीट व अन्य प्रपत्रों में भारी अनियमितता थी।
ईडी भी जल्द कसेगी शिकंजा
बसपा शासनकाल में हुए चीनी मिल घोटाले में जल्द प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी अपना शिकंजा कसेगा। ईडी के लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय ने मामले में मनीलांड्रिंग का केस दर्ज करने के लिए दिल्ली स्थित मुख्यालय से मंजूरी मांगी है। ईडी ने चीनी मिल घोटाले में दर्ज सीबीआइ की एफआइआर का अध्ययन भी किया है। माना जा रहा है कि मुख्यालय से मंजूरी मिलते ही जल्द ईडी घोटाले के आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकती है।