CoronaVirus Lucknow News: सिर्फ छह घंटे में असर दिखाने लगती है प्लाज्मा थेरेपी
CoronaVirus Lucknow News केजीएमयू में पहले मरीज की रिपोर्ट की पड़ताल में दिखा असर। मरीजों पर ट्रायल के लिए संग्रह कर लिया गया है प्लाज्मा।
लखनऊ [संदीप पांडेय]। CoronaVirus Lucknow News: केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी का पहला मरीज भले ही जिंदगी से जंग हार गया हो। मगर, कोरोना को हराने में कामयाब रहा था। उसकी जांच रिपोर्ट की पड़ताल की गई, तो छह घंटे में थेरेपी का असर दिखना पाया गया। अब सटीक आकलन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) अध्ययन से ही होगा। मरीजों पर ट्रायल के लिए प्लाज्मा संग्रह कर लिया गया है।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक केजीएमयू में उरई के कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर में प्लाज्मा थेरेपी दी गई है। वेंटिलेटर पर भर्ती चिकित्सक को पहली डोज 26 अप्रैल को दी गई। इसके छह घंटे में ही मरीज में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी काम करने लगीं। 24 घंटे के अंदर दोबारा प्लाज्मा की डोज दी गई। इसके बाद मरीज की फेफड़े की एक्स-रे रिपोर्ट क्लियर आने लगी। यही नहीं तीन दिन में कोरोना रिपोर्ट निगेटिव भी हो गई। मगर, उन्हें डायबिटीज, किडनी समेत अन्य समस्याएं थीं। लिहाजा, उन्हें बचाया नहीं जा सका। रिपोर्ट की पड़ताल करने पर प्लाज्मा थेरेपी का असर बेहतर रहा। उसकी रिपोर्ट में छह घंटे से आठ घंटे के बीच वायरल लोड भी कम पाया गया।
चार ग्रुपों का प्लाज्मा संग्रह, मरीज की तलाश
डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक संस्थान में अब प्लाज्मा थेरेपी आइसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार चढ़ाया जाएगा। संस्थान में कोरोना से ठीक हो चुके सात मरीज प्लाज्मा दान कर चुके हैं। इसमें एक यूनिट पहले मरीज को चढ़ाया जा चुका है। वर्तमान में ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की एक यूनिट, बी पॉजिटिव की तीन यूनिट, एबी पॉजिटिव की एक यूनिट व ओ पॉजिटिव की एक यूनिट ब्लड बैंक में संग्रह है। आइसीएमआर की गाइड लाइन के मुताबिक, मरीज की तलाश कर प्लाज्मा थेरेपी की डोज दी जाएगी।
कैसे काम करती हैं यह इम्युनिटी
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक शरीर में वायु-जनित संक्रमण का मुख्य द्वार फेफड़ा ही है। फेफड़े में संक्रमण होने पर अन्य अंगों की कार्यप्रणाली का गड़बड़ाना तय है। फेफड़े मजबूत होने के लिए इम्युनिटी जरूरी है।
पैसिव इम्यनिटी
यह शरीर को किसी अन्य माध्यम से मिलती है, जैसे मां का दूध, कनवेलिसेंट प्लाज्मा आदि से। यह एक तरह से उधार की ली हुई इम्युनिटी होती है।
एडेप्टिव या एक्टिव इम्युनिटी
यह शरीर में उम्र विकसित होती रहती है। शरीर किसी बीमारी की गिरफ्त में आता है, तब यह सक्रिय हो जाती है। यह एंटीबॉडी विकसित करके उसे नष्ट करने का काम करती है। इसमें मुख्य रूप से टी सेल, बी सेल और लिंफोसाइट्स होते हैं।
पैसिव इम्यनिटी है प्लाज्मा थेरेपी
केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, प्लाज्मा थेरेपी पैसिव इम्यनिट में आती है। यह ठीक हुए मरीज से ली हुई इम्यनिटी होती है।
कोरोना को मात देने वाले युवक ने पीजीआइ में प्लाज्मा दिया
एसजीपीजीआइ में शनिवार को कोरोना से जंग जितने वाले 19 साल के तालिब खान ने प्लाज्मा दान किया। तालिब शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। ठीक होने करीब 18 दिन बाद उन्होंने स्वेच्छा से प्लाज्मा दिया है। पीजीआइ निदेशक प्रो. आरके धीमान और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग और प्लाज्मा थिरेपी के प्रभारी डॉ. अनुपम वर्मा ने तालिब को प्रमाण पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया। अब पीजीआइ भी संक्रमित मरीजो का इलाज प्लाज्मा थिरेपी ज साथ ही शोध भी करेगा। डॉ. अनुपम ने बताया कि शहर के चार से पांच अन्य लोग संपर्क में हैं। जल्द ही वह प्लाज्मा दान करेंगे। यह सभी कोरोना संक्रमण को मात देकर अब स्वास्थ्य हैं। 2 मई को आइसीएमआर ने पीजीआई को प्लाज्मा लेने की मंजूरी दी थी।