लखनऊ के बंगला बाजार रेलवे ओवर ब्रिज के खंभे जमीन के 24 मीटर तक जाएंगे, मजबूती से नहीं होगा समझौता
लखनऊ रखरखाव होता रहा तो सौ साल तक नहीं पड़ेगा बोलना। जनवरी 2023 में आम पब्लिक के हो सकेगा शुरू । मजबूती के मामले यह कमजोर न हो इसके लिए सेतु निगम ने कार्यस्थल पर ही साइट आफिस का निर्माण किया है।
लखनऊ, जेएनएन। सेतु निगम ऐसा रेलवे ओवर ब्रिज बना रहा है, जिसके निर्माण बाद सौ साल तक बोलना नहीं पड़ेगा। जिन खंभों (पाइलिंग) पर ओवर ब्रिज टिकेगा, उन्हें जमीन के भीतर 23 से 25 मीटर तक खंड़ा किया जाएगा। यह उसी तरह है, जैसे लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने अपने खंभे खड़े किए हैं और आज मेट्रो उन्हीं पर चल रही है। बंगला बाजार से बिजनौर रूट पर बन रहे इस ओवर ब्रिज को फोन लेन बनना है। मजबूती के मामले यह कमजोर न हो, इसके लिए सेतु निगम ने कार्यस्थल पर ही साइट आफिस का निर्माण किया है। प्रयास है कि दो पालियों में यहां काम चले, जिससे तय समय सीमा में कार्य हो सके। ओवर ब्रिज का काम खत्म करने की तिथि दिसंबर 2022 रखी गई है लेकिन यह तोहफा जनवरी 2023 तक मिलने की उम्मीद है।
सेतु निगम द्वारा यहां पाइलिंग को लेकर मशीनें साइट पर पहुंचा दी गई है। मिट्टी का परीक्षण पहले ही किया जा चुका है, अब पाइलिंग का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। उद्देश्य है कि पाइलिंग का काम पूरा होने के बाद आगे का कार्य किया जाएगा। यहां रेलवे क्रासिंग अब किसी के मार्ग में बाधा नहीं बनेगी। क्योंकि यहां 1214.545 मीटर लंबा सेतु बना रहा है। यह सेतु पांच लाख लोगों के लिए मददगार होगा। सेतु निगम के उप परियोजना प्रबंधक रोहन कुमार ने बताया कि निर्माण की गुणवत्ता बनी रहे, इसके लिए अवर अभियंता साइट आफिस पर रहेंगे, वहीं सहायक अभियंता आरपी रावत औचक निरीक्षण करने के साथ ही साइट आफिस भी समय समय पर बैठेंगे। उद्देश्य होगा कि कार्यदायी संस्था गुणवत्ता को लेकर कोई खिलवाड़ न कर सके।
121 करोड़ की लागत से रेलवे ओवर ब्रिज बनाया जा रहा है। वहीं उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अंतर्गत आने वाला ओवर ब्रिज का पटरी के ऊपर का काम रेलवे अपनी कार्यदायी संस्था से कराएगा। अभियंताओं की माने तो इस पर करीब अठारह करोड़ से अधिक का खर्चा आ सकता है। यहां रेलवे को ओवर ब्रिज निर्माण के दौरान ब्लाक देना होगा।