KGMU: असाध्य रोग के मरीज का ट्रांसप्लांट पर 5.5 लाख खर्च, दवा से लेकर टांका भी खरीदवाया Lucknow News
सरकार ने दिए करोड़ों कर्ज लेकर इलाज करा रहे गरीब। मुफ्त इलाज का कार्ड होने के बाद भी ट्रांसप्लांट पर खर्च कर दिया।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया नहीं कराया जा रहा है। यहां असाध्य रोग के मरीज का ट्रांसप्लांट पर साढ़े पांच लाख खर्च करा दिया गया, जबकि उसका मुफ्त इलाज का कार्ड अप्रैल में ही बन गया था।
केजीएमयू में शनिवार को मरीज विजय कुमार सोनी (48) का ट्रांसप्लांट हुआ। संस्थान में लिवर कैंसर का पहला व कुल तीसरा ट्रांसप्लांट किया गया। डॉक्टरों ने 14 घंटे ऑपरेशन कर मरीज को नई जिंदगी दी, लेकिन केजीएमयू का सिस्टम परिजन पर भारी पड़ गया। स्थिति यह है कि मरीज विजय कुमार का असाध्य रोग कार्ड 27 अप्रैल को बन गया था। बावजूद उसको लिवर ट्रांसप्लांट की निश्शुल्क सुविधा नहीं मुहैया कराई गई। केजीएमयू में अब तक उसका साढ़े पांच लाख रुपया खर्च हो चुका है। इसमें ऑपरेशन से पहले मरीज की जांच व दवा पर ढाई लाख खर्च हुआ। वहीं ट्रांसप्लांट के एक दिन पहले मेडिकल स्टोर पर सर्जिकल सामान के तीन लाख रुपये जमा कराए गए।
कर्ज में डूबे, डेढ़ लाख और जमा करने का फरमान
विजय पेशे से चालक हैं। पत्नी व बेटे ने रिश्तेदारों व साथियों से कर्ज लेकर साढ़े पांच लाख रुपये जुटाए। वहीं अब निजी मेडिकल स्टोर संचालक ने करीब डेढ़ लाख रुपये और जमा करने का फरमान सुनाया है। साथ ही इस पैसे को चेक के बजाए नकद मांगा है।
सरकार ने दिए करोड़ों
सरकार केजीएमयू को गरीबों के इलाज के लिए करोड़ों रुपये दे चुकी है। वर्ष 2017-18 में जहां बीपीएल व असाध्य रोगियों के लिए 25 करोड़ से अधिक दिए। वहीं वर्ष 2019-20 में पहली किस्त में सात करोड़ से अधिक जारी किए जा चुके हैं।
क्या कहते हैं अफसर ?
- केजीएमयू वित्त अधिकारी मो. जमा कहते हैं कि यदि मरीज का असाध्य रोग में पंजीकरण है तो उसे मुफ्त इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए। इस मरीज को क्यूं नहीं मिली, यह अस्पताल का काम देख रहे अधिकारी ही बता सकते हैं।
- केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि मरीज को कुछ सेवाएं मुफ्त दी गई हैं। वहीं जो पैसा खर्च हो गया, उसकी नियमानुसार भरपाई की जाएगी।
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