मोबाइल-कंप्यूटर नहीं किताबों से कराएं पक्की दोस्ती, भविष्य के साथ होगा व्यक्तित्व विकास
अभिभावक ध्यान दें: कंप्यूटर, मोबाइल व गैजेट्स के बीच ब'चों का पुस्तकों से जुड़ाव जरूरी। व्यक्तित्व विकास और अ'छे ाविष्य के लिए डालें पढ़ने की आदत।
लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। सुनो कि किताबें बोलती हैं, कहानियों की परतें खोलती हैं। जज्बातों को टटोलती हैं, एक नई दुनिया से हमें जोड़ती हैं।। किताबें हमेशा से ही सच्ची दोस्त रही हैं। हम भले ही इनका साथ छोड़ दें पर यह हमेशा हमारे इंतजार में रहती हैं। कंप्यूटर, मोबाइल व गैजेट्स के बीच आज बच्चों का पुस्तकों से साथ छूटता जा रहा है। यही दूरी तमाम दुष्परिणामों के रूप में सामने आ रही है। अभिभावकों के सामने बच्चों को किताबों की दुनिया से जोड़ने की चुनौती है। व्यक्तित्व विकास और अच्छे भविष्य के लिए पढ़ने की आदत जरूरी है। कुछ उपायों को अपनाकर अभिभावक कच्ची उम्र में बच्चों की किताबों से पक्की मित्रता करा सकते हैं।
पहले खुद शुरू करें पढ़ना :
किसी भी बात के लिए सलाह देने से पहले हमें खुद भी उसे अमल में लाना चाहिए। अगर अभिभावक किताबें पढ़ते दिखेंगे तो बच्चे भी प्रेरित होंगे। अपने पसंदीदा लेखक और विषय की किताब लें और पढ़ें। किताब के रोचक प्रसंगों का बच्चों से जिक्र करें। हो सकता है बच्चे आपसे प्रश्न भी करें तो उनका उत्तर जरूर दें।
बचपन से ही डालें आदत:
बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है, जैसा ढालेंगे वैसा ढल जाएगा। शुरुआत से ही बच्चों में किताबों के प्रति जिज्ञासा जगाएं। किताबों की दुनिया में ले जाने के पहले कदम के तौर पर एकदम छोटे बच्चों के लिए 'क्लॉथ बुक' से शुरुआत कर सकते हैं। उसके बाद 'टेक्सचर बुक', 'बोर्ड बुक्स', 'कलर बुक', 'गेम बुक' और 'वाटर प्रूफ बुक्स' आदि बच्चों को दे सकते हैं। फिर बच्चों की रुचि अनुसार समय-समय पर किताबें दें। किताबें खरीदते वक्त बच्चों को भी साथ ले जाएं तो बढि़या होगा।
घर में रखें अच्छी किताबों का संग्रह:
घर में अच्छी किताबों का संग्रह रखें। विविधता का विशेष ध्यान रखें। इसमें ¨हदी और अंग्रेजी दोनों भाषाएं हों। बुक शेल्फ या किताबें रखने की जगह ऐसी हो जिसके लिए बच्चों को ज्यादा मशक्कत न करनी पड़े। उपहार में दें पुस्तकें:
जन्मदिन या कुछ खास अवसरों पर बच्चों को अन्य उपहारों के साथ किताबें भी गिफ्ट करें। रिश्तेदारों को भी तोहफे में किताबों के लिए कहें। बच्चा 'हैरी पॉटर' या 'स्टार वार्स' जैसी फिल्में देखने का शौकीन है तो उसे इन्हीं पर केंद्रित किताबें भी लाकर दें। जिससे उनकी दिलचस्पी किताबों में बढ़ेगी।
कराएं पुस्तक मेला की सैर :
शहर में समय-समय पर पुस्तक मेला लगते रहते हैं। कोशिश करें की बच्चों को वहां जरूर लेकर जाएं। बच्चों को वहां अपने पसंद की किताबें खरीदने को कहें। चारबाग स्थित रवींद्रालय में पुस्तक मेला के रूप में एक अच्छा विकल्प सामने है, खुद भी जाएं और बच्चों को भी ले जाएं।
ऐसी हो छोटे बच्चों की किताब :
रंग बिरंगी किताबें बच्चों को आकर्षित करती हैं। तस्वीरों, ग्राफिक्स और रंगों से ारपूर किताबें बच्चों का ध्यान खींचती हैं। चित्रों के साथ कहानी बयां करती किताबों को बच्चे रुचि लेकर पढ़ते हैं। बच्चों की पसंद-नापसंद का ध्यान रखेंगे तो किताबें खरीदने में आसानी होगी। किताबों की दुनिया के फायदे:
- जब वक्त मिले तब किताब पढ़ने से समय का सदुपयोग होने के साथ ही सकारात्मकता बनी रहती है।
- पढ़ने-लि ाने की आदत दिमाग को फ्रेश रखता है।
- पढ़ने से सोचने समझने की शक्ति में भी इजाफा करता है।
- व्यक्ति रचनाशील बनता है। आई क्यू लेवल बढ़ता है।
- किताबें पढ़ने से मन शांत होता है। तनाव दूर होता है। अभिभावकों के लिए :
गरु नानक गर्ल्स डिग्री कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्वाती खरे ने अभिभावकों के लिए कुछ सुझाव दिए, जिससे वह बच्चों को किताबों की दुनिया से जोड़ सकते हैं.. - बच्चों की रुचि के हिसाब से किताबें पढ़ने का समय तय करें।
- हो सके तो उनके साथ बैठकर खुद भी कुछ पढ़ते रहें।
- किताबों से नैतिक मूल्यों वाली कहानियों पढ़कर बच्चों को सुनाएं।
- बच्चों से कहें कि तेज आवाज में पढ़ें ताकि उनके उच्चारण में सुधार हो।
- लाइब्रेरी या पुस्तक मेला आदि जाने के लिए उन्हें उत्साहित करें।
- कुछ पढ़ने के बाद बच्चों के विचार टटोलने की कोशिश करें।
- उनके प्रयासों की सराहना करें।
- मोबाइल के सदुपयोग और दुरुपयोग बताने के साथ ही किताबों से जुड़ने के फायदे बताएं।
- घर पर अच्छी किताबों की लाइब्रेरी तैयार करें।