मैडम ने साहब को प्रश्नों के साथ Whats app पर भेजे उत्तर Lucknow News
पेपर लीक प्रकरण में केजीएमयू का परीक्षा विभाग शक के दायरे में। सवालों के साथ जवाब भी कर दिए गए वाट्स एप।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में अफसरों ने जूनियर डॉक्टरों की पारदर्शी भर्ती का दावा किया। लिहाजा, साक्षात्कार के बजाय पहली बार लिखित परीक्षा का हवाला दिया, लेकिन बैकडोर से रिश्तेदारों को नौकरी बांटने का षडयंत्र भी रच डाला। स्थिति यह रही कि क्वैश्चन बैंक बनाने वाली मैडम ने साहब को प्रश्न ही नहीं उत्तर भी भेज दिए थे। ऐसा, इसलिए कि छात्र बिना समय गंवाए परीक्षा की तैयारी कर सकें।
केजीएमयू के दंत संकाय में सीनियर रेजीडेंट की भर्ती परीक्षा में धांधली की जड़ें काफी गहरी हैं। 21 जुलाई को आयोजित परीक्षा का पेपर 17 जुलाई को ही संकाय के वरिष्ठ शिक्षक के पास पहुंच गया था। वर्तमान में यह शिक्षक प्रशासनिक पद पर काबिज हैं। ऐसे में उनके मौखिक आदेशों के लिए नियमों को तार-तार कर दिया गया। लिहाजा, प्रश्न पत्र बनाने वाली मैडम ने वाट्सएप पर न सिर्फ प्रश्न ही भेजे, बल्कि उत्तर भी सभी के दे दिए। ऐसे में साहब की बहन के दामाद के अलावा अन्य प्रभावशाली अफसरों के बच्चों की नौकरी का रास्ता साफ हो गया।
पेपर में 50 प्रश्न मैडम के : दंत संकाय के नौ विभागों के लिए 30 जूनियर डॉक्टरों की भर्ती होनी थी। परीक्षा में कुल सौ प्रश्न थे, जिसमें 40 प्रश्न रिसर्च बेस्ड एक समान थे और विषय संबंधी 60 प्रश्न संकाय के अलग-अलग विभागों से जुड़े थे। यह प्रश्न विभाग के शिक्षकों से मांगे गए थे। इसमें से ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग के दो शिक्षकों ने 50-50 प्रश्न परीक्षा विभाग भेजे थे। आरोप हैं कि इसमें एक महिला शिक्षक के सभी 50 प्रश्न पेपर में शामिल कर लिए गए। वहीं दूसरे शिक्षक से सिर्फ 10 प्रश्न होने का हवाला दिया।
परीक्षा विभाग पर भी खड़े हुए सवाल : महिला शिक्षक के सभी प्रश्नों को पेपर में शामिल करने पर परीक्षा विभाग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। साथ ही महिला शिक्षक द्वारा प्रश्नों का उत्तर भेजना भी गंभीर मामला है। कारण, प्रश्नों के उत्तर मेल के जरिए परीक्षा विभाग को भेजने का नियम है। इनका साथ में रिफरेंस भी देना होता है।
एफआइआर नहीं करा रहा केजीएमयू
पर्चा लीक का राजफाश करने वाले डॉक्टर ने प्रॉक्टर समेत कुलपति को पत्र लिखा है। इसमें पेपर लीक प्रकरण की गहन जांच के लिए मामले की एफआइआर कराने की मांग की। मगर, केजीएमयू के अफसरों ने अभी पेपर लीक प्रकरण की एफआइआर नहीं कराई है। वह इंटरनल जांच का हवाला देकर गंभीर मामले में हीलाहवाली कर रहा है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
परीक्षा नियंत्रक डॉ. एके सिंह ने बताया कि परीक्षा विभाग में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। महिला शिक्षक के 30 से 40 फीसद ही प्रश्न पेपर में शामिल किए गए थे।
प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा ने कहा कि डॉक्टर का एफआइआर कराने का पत्र मिला था। वीसी साहब ने अब मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। ऐसे में कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद एफआइआर कराने का फैसला लिया जाएगा।
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