देश से कैंसर का बोझ कम करेगा पेप प्रोजेक्ट, ये होगी खासियत
एनआइसीपीआर समेत तीन संस्थानों के वैज्ञानिकों ने दिया प्रस्ताव।
लखनऊ[धर्मेन्द्र मिश्र]। देश में लगातार बढ़ रही कैंसर से मौतों को रोकने व पीड़ितों की जिंदगी आसान बनाने के लिए शीर्ष वैज्ञानिकों ने प्रिवेंशन, अर्ली डिटेक्शन एंड पैलिएटिव केयर (पेप) प्रोजेक्ट का प्रस्ताव तैयार किया है। गत सप्ताह इंडियन जरनल ऑफ पैलिएटिव केयर में छपने के बाद प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा जा चुका है। इसके तहत देशभर में पेप सेंटर खोलने (कैंसर केयर) की योजना है। अभी तक कुछ कैंसर संस्थानों में ही पैलिएटिव केयर की सुविधा है। नए प्रस्ताव में प्रिवेंशन व अर्ली डिटेक्शन को भी शामिल किया गया है, जो इस प्रोजेक्ट की मुख्य थीम है।
यूपी, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में ऐसे केंद्रों की संख्या अधिक होगी। मुख्य फोकस कॉमन (मुख, स्तन व सर्वाइकल) कैंसर पर होगा। राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइसीपीआर), नोएडा, एमएनजे इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी (हैदराबाद) व टाटा ट्रस्ट (मुंबई) के वैज्ञानिक प्रो. रवि मेहरोत्र, रूपा हरि प्रसाद, गायत्री पलाट एवं नंदिनी वल्लठ के सहयोग से इसे तैयार किया गया है। पेप प्रोजेक्ट की खासियत:
- अर्ली डायग्नोसिस से कैंसर का जल्द पता लगाकर प्री-स्टेज में ही उसे उत्कृष्ट इलाज से खत्म कर दिया जाएगा।
- समय से पता लग जाने पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय व लास्ट स्टेज कैंसर पर भी काबू पाना व पैलिएटिव केयर (दर्द रहित जिंदगी) देना आसान होगा।
- यह सेंटर अर्ली डायग्नोसिस के साथ मरीजों को बगैर समय गंवाए इलाज के लिए उचित कैंसर संस्थानों में भेजने व मिलने वाली सरकारी मदद मुहैया कराने में मदद करेगा, ताकि उनका समय दर-दर भटकने में खत्म न हो। ऐसे में कैंसर व उससे होने वाली मौतों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।
- सभी सेंटर को मास्टर कंट्रोल ऑफिस से जोड़ा जाएगा। ऐसे मरीजों के डायग्नोसिस, रोकथाम, इलाज व दर्द रहित जीवन बनाने हेतु मॉनीटरिंग की जाएगी।
- पेप प्रोजेक्ट के लिए सरकार को अलग से कोई पैसा या मानव संसाधन लगाने की जरूरत नहीं होगी। बल्कि सीएचसी-पीएचसी के डॉक्टरों को अर्ली डायग्नोसिस व पैलिएटिव केयर के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। गंभीर मामला होने पर वह ऐसे संस्थानों में मरीज को रेफर कराएंगे, जहा से उनका सटीक इलाज समय पर शुरू हो जाएगा।
- ये सेंटर एक दूसरे से ऑनलाइन जुड़ेंगे। इनकी कनेक्टिविटी कैंसर संस्थानों के साथ होगी। इससे नजदीकी कैंसर संस्थान में मरीज को जरूरत होने पर अविलंब भेजा जा सकेगा।
- संदिग्ध मरीजों की खोज के लिए विशेष प्रश्नावली भी तैयार की जाएगी। मरीजों व परिजन से इसके जरिए कैंसर के अलावा अन्य घातक बीमारियों का पता लगाकर उन्हें संबंधित संस्थान में भेज दिया जाएगा।
क्या कहना है एनआइसीपीआर निदेशक का ?
एनआइसीपीआर निदेशक प्रो. रवि मेहरोत्र का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से कैंसर का जल्द पता लगाना, प्री-स्टेज में ही कैंसर को खत्म करना, एडवास्ड स्टेज में पहुंच चुके मरीजों को जल्द उपचार से उनकी जान बचाना आसान होगा। ऐसे में देश से कैंसर का बोझ काफी हद तक कम होने लगेगा। मरीजों को पैलिएटिव केयर भी दिया जाएगा।