जर्जर लाइनर के कारण ढीली हो रही पैंड्राल क्लिप
मरम्मत में लापरवाही के कारण भी हो सकता है हादसा सिद्दीकी ने कहा, रेलवे में आपूर्ति हो
मरम्मत में लापरवाही के कारण भी हो सकता है हादसा
सिद्दीकी ने कहा, रेलवे में आपूर्ति हो रहे सामान की गुणवत्ता नहीं है अच्छी
जागरण संवाददाता, लखनऊ : पहले तीन दिसंबर और फिर गुरुवार को एक ही रेलखंड पर पैंड्राल क्लिप और स्लीपर की फीटिंग गायब होने से रेलवे के होश उड़ गए हैं। रेलवे ने पटरियों के रखरखाव के लिए मौजूदा संसाधन और लागू व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी है। इस दौरान यह भी पता चला है कि पटरियों को जकड़ने वाली लाइनर को कई साल से बदला नहीं गया है। इसे बदलने के लिए रेलवे को ब्लॉक की भी जरूरत है, जो ट्रेनों के बढ़ते दबाव के कारण नहीं मिल पा रहा है।
ऐशबाग से गोमतीनगर रेलखंड पर लगे लाइनर जर्जर हो चुके है। इन लाइनर पर पैंड्राल क्लिपों को लगाकर ग्रीसिंग कर दी गई है। एनई रेलवे इंजीनियर्स एसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष इंजीनियर जेडयू सिद्दीकी का कहना है कि रेलवे में आपूर्ति हो रहे सामान की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। रेलवे दो तरह के लाइनरों का वर्तमान में उपयोग कर रहा है। रेलवे स्टेशन पर जहां सिग्नल पोस्ट होते है, वहां पटरियों व स्लीपर के बीच नायलॉन के लाइनर लगाए जाते है। जबकि होम सिग्नल से आउटर तक लोहे के लाइनरों का प्रयोग होता है। इन लाइनरों की उम्र वैसी अच्छी-खासी होती है, लेकिन डालीगंज-बादशाहनगर जैसे रेलखंडों पर इनकी नियमित निगरानी जरूरी है। इस रेलखंड पर रेलवे लाइन के किनारे कई झुग्गी झोपड़ी बसी हुई है। इस कारण यहां पानी के इस्तेमाल और चलती ट्रेन में शौचालय का उपयोग होने से वह पानी पटरी पर गिर रहा है। जिस वजह से इन लाइनरों पर जंग लगता रहता है। लाइनरों को बदलने का काम नियमित रूप से चलता है। लेकिन निगरानी पर काम नहीं होता। पुराने रेलखंडों के लाइनरों का गहन निरीक्षण कराने की जरूरत है। उधर, पूर्वाेत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में इंजीनिय¨रग विभाग पर भी इस मामले को लेकर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। तीन दिसंबर की घटना के बाद इंजीनिय¨रग विभाग ने आनन-फानन में पैंड्राल क्लिपों पर ग्रीसिंग कर दी थी। क्लिपों पर ग्रीसिंग इतनी अधिक हो गयी कि वह कंपन के कारण अपने आप निकल रही है। गुरुवार को डीआरएम विजय लक्ष्मी कौशिक ने इंजीनिय¨रग अनुभाग के अधिकारियों को इस पर डांट भी लगायी थी।