पद्मश्री रामसरन का ' गांव में काम ' मॉडल रोकेगा किसानों का पलायन, लॉकडाउन में दे रहा लोगों को रोजगार
पद्मश्री रामसरन के गांव में काम मॉडल से बाराबंकी में प्रतिदिन औसतन 70 से 80 लोगों को रोजगार मिल रहा है।
बाराबंकी [जगदीप शुक्ल]। भारत गांवों में बसता है। कृषि प्रधान देश की समृद्धि और खुशहाली का रास्ता खेतों से होकर जाता है। इन कहावतों की सच्ची तस्वीर आजकल गांवों में देखने को मिल रही है। लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियां और औद्योगिक इकाइयां जहां बंदी की कगार पर हैं और आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हैं। वहीं श्रमिक तमाम दुश्वारियां झेलते हुए पहले पैदल अब डग्गामार वाहन, बस व ट्रेन से गांव पहुंच रहे हैं। ज्यादातर श्रमिकों के सामने बेराेजगारी एक अहम चुनौती है। ऐसे पद्मश्री राम सरन वर्मा का ‘गांव में काम’ मॉडल कारगर साबित होता दिख रहा है। अन्नदाता खुद खुशहाल होने के साथ ही बेरोजगारी दूर कर पलायन रोकने में अहम भूमिका निभा रहा है। जागरण प्रतिनिधि ने लॉकडाउन के दौरान खुशहाल और समृद्ध भारत की तस्वीर देखने के लिए उनके बेलहरा और दौलतपुर स्थित कृषि फार्म पर पहुंचकर मॉडल से रूबरू होने की कोशिश की।
बेलहरा कृषि फार्म पर करीब दर्जन भर श्रमिक केले की फसल में खाद डाल रहे थे। संदीप कुमार ने बताया कि आठ दस साल पद्मश्री रामसरन के खेतों पर काम करने के बाद ज्यादा कमाने के चक्कर में अहमदाबाद गए। वहां बारह हजार रुपये मिल रहे पर बचत नहीं हो रही थी। अब गांव में बारह हजार मिल जा रहे हैं तो परदेस जाने का सवाल ही नहीं है। दौलतपुर के जैसीराम ने बताया कि बाबा और पिता जी भी काम करते थे। गांव जैसी सुविधा और कहीं नहीं मिलती। उनके कृषि फार्म के सुपरविजन का काम कर रहे अनुभवी किसान संजय कुमार को कृषि में विशिष्ट सहयोग के फरवरी माह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सम्मानित कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि पद्मश्री के खेतों में काम करके न सिर्फ यहां ज्यादा पैसा मिल रहा है, बल्कि तकनीक सीखकर हम भी केला और टमाटर की खेती करने लगे हैं। उन्होंने बताया कि वह सुख-दु:ख में साथ रहते हैं। बताया कि हमारे बच्चे को हार्ट में दिक्कत थी, हमारी औकात नहीं थी कि दिल्ली जा पाते। उन्होंने फोर्टिस अस्पताल में बच्चे का ऑपरेशन करवाया। दौलतपुर स्थित कृषि फार्म पर काम कर रहे बाबू ने बताया कि वर्मा जी खेत पर काम करते-करते तकनीक सीखी अब खुद भी केला-टमाटर की खेती कर रहे हैं। उधवापुर के हरिश्चंद्र उनके कृषि फार्म पर पौध लेने आए थे। उन्होंने बताया कि उनसे सलाह लेकर नई तकनीक से खेती करते हैं और दूसरे लोगों को नई पद्धति से खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
पद्मश्री रामसरन वर्मा कहते हैं कि लॉकडाउन का खेती पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। बल्कि सिर्फ खेती का ही काम है जोकि लगातार जारी है। नई तकनीक से खेती करके अच्छी आमदनी की जा सकती है। साथ ही दूसरों को रोजगार भी दिया जा सकता है। बताया, पहले अपने गांव दौलतपुर से खेती की शुरूआत की गांव के आसपास किसान अब तकनीक अपनाकर लाभकारी खेती कर रहे हैं। कोई बाहर मजदूरी करने नहीं जाता। हमने लोगों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से दौलतपुर के अलावा कुर्सी क्षेत्र, बेलहरा और लालपुर में भी कृषि फार्म पर फसलों की बोआई कर रहे हैं। इन पर प्रतिदिन औसतन 70 से 80 लोगों को रोजगार मिल रहा है। सालभर करीब तीस हजार लोगों को रोजगार अपने कृषि फार्म के जरिये देता हूं। इसका जिक्र हमारी वेबसाइट पर भी है। सामान्य श्रमिक, नियमित श्रमिक व अनुभवी श्रमिक को तीन सौ से पांच सौ रुपये तक मजदूरी देते हैं। रोजगार देने और पलायन रोकने में यह कारगर साबित हो सकती है।