ट्रेनों में क्षमता से अधिक ओवरलोडिंग ने रेल पटरियां कर दी बेकार
लखनऊ-कानपुर रेलखंड पर पटरियों का इस्तेमाल 150 से 160 प्रतिशत तक हो रहा है। मतलब जिस पटरी पर प्रतिदिन 100 ट्रेनें गुजरनी चाहिए, उस पर 150 से 160 ट्रेनें गुजर रही हैं।
लखनऊ [निशांत यादव]। ट्रेन 12369 कुंभ एक्सप्रेस की एसएलआर बोगी में लीज पर पार्सल लादने की क्षमता चार टन थी। ट्रेन की जांच लखनऊ में की गई तो 1154 किलोग्राम अधिक भार मिला। इस पर 64 हजार रुपये जुर्माना लगा। इसी तरह क्षमता से अधिक माल ढुलाई के चलते पिछले साल कानपुर के पास लखनऊ आ रही मालगाड़ी बेपटरी हो गई थी। ऐसे में रेलवे बोर्ड ने एक बार फिर सभी जोनल मुख्यालयों को मालगाडिय़ों की ओवरलोडिंग को लेकर चेताया है।
दरअसल, पटरियों की आयु उनकी क्षमता के अनुसार होती है। यह पटरियों के भार के अनुसार 300 ग्रास मिलियन टन से 600 ग्राम मिलियन टन भार को ग्रहण कर सकती है। लखनऊ-कानपुर रेलखंड पर पटरियों का इस्तेमाल 150 से 160 प्रतिशत तक हो रहा है। मतलब जिस पटरी पर प्रतिदिन 100 ट्रेनें गुजरनी चाहिए, उस पर 150 से 160 ट्रेनें गुजर रही हैं। यही हाल झांसी-आगरा-नई दिल्ली और नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-पटना रूट का भी है।
इसलिए असुरक्षित है ट्रेनों में ओवरलोडिंग
ट्रेनों की एसएलआर बोगियां लीज पर लेने वाले धारक, पार्सल को ठूंस ठूंसकर भरते हैं, जो कि प्लग प्वाइंट और बिजली के उपकरणों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में शॉर्ट सर्किट की संभावना बनी रहती है।
ओवरलोड मालगाड़ी से भी खतरा
अधिक भार पडऩे से पटरियों की वेल्डिंग टूट जाती है। दो स्लीपर के बीच पटरी के ऊपर पहिया गुजरने पर बार-बार दबाव पड़ता है, जिससे पटरी टूटने लगती है।
इस जोन में इतनी पटरी टूटीं
जुलाई 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा उत्तर रेलवे में पटरियों पर 53 ट्रैक फ्रैक्चर हुए, जबकि दो वेल्डिंग टूटीं। इससे पहले जुलाई 2017 में 23 ट्रैक फ्रैक्चर हुए थे। इसी तरह प्रदेश में उत्तर मध्य रेलवे जोन में तीन ट्रैक फ्रैक्चर हुए और सात जगहों पर वेल्डिंग टूटी, जबकि पूर्वोत्तर रेलवे में पटरी फ्रैक्चर की तीन और वेल्डिंग टूटने की एक घटना हुई। देश के सभी जोन को मिलाकर 186 जगहों पर ट्रैक फ्रैक्चर हुआ, जबकि 115 जगहों पर वेल्डिंग टूटी है।
ऐसे पकड़ आ रहा खेल
मालगाडिय़ों में ओवरलोडिंग पकडऩे के लिए रेलवे ने वेइंग मशीनें लगाना शुरू कर दिया है। यह मशीन पटरी के नीचे लगती है जिसके ऊपर से गुजरने वाले वैगन का भार कितना है यह पता कर उसका प्रिंट दे देती है।
रेलवे आए दिन ट्रेनों की ओवरलोडिंग की जांच कर जुर्माना भी लगाता है। मालगाडिय़ों की ओवरलोडिंग की जांच के लिए रेलवे की वेइंग मशीनें व्यास और मुरादाबाद में हैं, जबकि निजी कंपनियों के पास अपनी वेइंग मशीनें भी हैं। ओवरलोडिंग से पटरियों को कोई नुकसान न पहुंचे इसके लिए मंडल स्तर पर सघन जांच सुनिश्चित की जाती है।
- जगतोष शुक्ल, सीनियर डीसीएम लखनऊ