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लखनऊ के अस्पतालों में आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर, कामकाज ठप-मरीजों पर आफत

500 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं यूपीएचएसएसपी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में। सिविल अस्पताल से लेकर बलरामपुर और झलकारी बाई तक कामकाज ठप।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 11:02 AM (IST)
लखनऊ के अस्पतालों में आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर, कामकाज ठप-मरीजों पर आफत

लखनऊ, जेएनएन। टीएनएम कंपनी के आउटसोर्सिंग पर राजधानी के अस्पतालों में तैनात कर्मचारियों ने मंगवार सुबह उत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) प्रोजेक्ट से खत्म हो रहे कांटै्रक्ट को लेकर विरोध किया। सिविल अस्पताल से लेकर बलरामपुर, लोक बंधु, डफरिन व झलकारी बाई हॉस्पिटल में

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नाराज कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया। हड़ताल पर जाने की वजह से अस्पतालों में मरीजों आैर तीमारदारों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। इस वजह से ओपीडी से आइपीडी तक का काम रुक गया है। वार्डों में सफाई नहीं हो पाई और मरीजों को दवाएं नहीं मिल पाईं। 

पांच सौ से ज्यादा कर्मचारी 

प्रदेशभर के विभिन्न अस्पतालों में पांच सौ से ज्यादा कर्मचारी टीएनएम कंपनी की ओर से रखे गए हैं। उत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्टे्रंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) ने टीएनएम कंपनी से आउटसोर्सिंग के जरिये कर्मचारियों को रखा है। 31 मार्च को यूपीएचएसएसपी ने सभी कर्मचारियों को प्रोजेक्ट खत्म होने और कार्य मुक्त होने का मेल दे दिया। इसके बाद कर्मचारियों ने अस्पताल के अधिकारियों से बात की, लेकिन कोई माकूल जवाब नहीं मिला। नौकरी जाने के भय से सभी कर्मचारियों ने सारे कामकाज ठप कर दिए। 

स्वास्थ्य महानिदेशक को ज्ञापन  

संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल ने बताया कि राजधानी के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 500 से ज्यादा टीएनएम कंपनी के कर्मचारी कार्यरत हैं। आज (मंगलवार) कर्मचारी संघ स्वास्थ्य महानिदेशालय में ज्ञापन देगा और डीजी से वार्ता की जाएगी। मामले का कोई हल अगर नहीं निकला तो 11 मार्च से प्रदेशभर के आउटसोर्सिंग कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर ईको गार्डन में हड़ताल में शामिल होंगे। वहीं, सिविल अस्पताल के सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारी मंगलवार को पूर्णकालीन हड़ताल पर रहेंगे। 

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह का कहना है कि यूपीएचएसएसपी का प्रोजेक्ट खत्म हो रहा है। इसके जितने भी कर्मचारी हैं, उन्हें एनएचएम में समायोजित किया जा सकता है। शासन स्तर पर इसे लेकर अभी वार्ता चल रही है। 

मरीजों को नहीं लगी ड्रिप 

बता दें, बीते दिन सोमवार को सिविल अस्पताल में कर्मचारियों ने विरोध जताया था। उस दौरान करीब 200 से ऊपर कर्मचारियों ने काम ठप कर दिया। वार्डों में सफाई से लेकर ओपीडी चैंबर खोलने तक में अस्पताल प्रशासन को नियमित कर्मचारियों को लगाना पड़ा। 80 बेड के सर्जिकल मेल और फीमेल वार्ड, मेडिसिन, आर्थो वार्ड में मात्र एक से दो स्टाफ नर्सें रहीं। इस वजह से सुबह मरीजों को दवा तक नहीं मिल पाई। यहां तक कि दोपहर 12 बजे तक मरीजों को ड्रिप तक नहीं चढ़ पाई। 

50 बेड के आइसीसीयू में भी रहीं दो ही नर्स 

सबसे खराब हालत आइसीसीयू का रहा। यहां आठ बेड की इमरजेंसी से लेकर 50 बेड के कार्डियक वार्ड में केवल दो स्टाफ नर्स रहीं। इस वजह से आइसीसीयू के क्रिटिकल मरीजों को दवा और मॉनिटर करने में नर्सों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

स्ट्रेचर और व्हीलचेयर भी तीमारदारों ने घसीटे

बीते दिन श्यामा प्रसाद सिविल अस्पताल में वार्ड ब्वॉय और आया भी काम पर नहीं आईं। इस वजह से तीमारदारों को मरीजों के स्ट्रेचर भी खुद ही घसीटने पड़े। मेल मेडिसिन वार्ड में बहराइच निवासी 60 वर्षीय मोती का किडनी का इलाज चल रहा था। अचानक सुबह साढ़े 11 बजे उन्हें हार्ट अटैक आ गया। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया, लेकिन वार्ड में कहीं भी वार्ड ब्वॉय मौजूद नहीं थे। इस वजह से तीमारदारों को खुद ही स्ट्रेचर पर मरीज को लेकर जाना पड़ा। 


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