दिल ही नहीं पैर की नसों में भी स्टेंटिंग संभव
जागरण संवाददाता, लखनऊ : हार्ट की आर्टरी ब्लॉकेज में स्टेंट डालना आम है। वहीं पैरों में
जागरण संवाददाता, लखनऊ : हार्ट की आर्टरी ब्लॉकेज में स्टेंट डालना आम है। वहीं पैरों में थमे रक्त प्रवाह को भी स्टेंटिंग के जरिए सुधारा जा सकता है। यह संभव है इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के जरिए।
पीजीआइ में सोसाइटी फॉर इंटरवेंशन रेडियोलॉजी के अधिवेशन में आयोजक डॉ. शिव कुमार ने बताया कि शरीर के निचले हिस्से पैर, पेलविस, जनाग में रक्त वाहिकाओं में भी रुकावट आ जाती है। ऐसी दिक्कत उम्र बढ़ने के चलते होती है। इससे रक्त संचार इन अंगों में बाधित हो जाता है। जिसके कारण पैर में दर्द, पैर में घाव, गैंगरीन की परेशानी होती है। जननाग में रक्त संचार कम होने के कारण नपुंसकता की स्थित तक आ जाती है। वहीं इेंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में नस में केथेडर डालकर रुकावट स्थान पर पहुंचते हैं। ब्लॉकेज वाले स्थान पर बैलूनिंग कर देते है, जिससे रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है। उन्होंने बताया कि 65 वर्ष के के बाद 12 से 20 फीसद लोगों में पेरीफेरल आर्टरी डिजीज की परेशानी होती है।
बोन सीमेंट भर कर ठीक होगा फ्रैक्चर
सुई से वर्टिब्रा, रीढ़ की हड्डी की कशेरुका में बोन सीमेंट भर कर इसके फ्रैक्चर को ठीक करना संभव हो गया है। इस तकनीक को वर्टिब्रा प्लास्टी या केफैलोप्लास्टी कहा जाता है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डी में कैल्शियम की कमी के कारण कशेरुका में फैक्चर हो जाता है, जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में दर्द व कमर सीधे न होने की परेशानी होती है। इंटरवेंशन तकनीक से जिस कशेरुका में फ्रैक्चर होता है वहा पर उसके अंदर निडिल से पहले होल बनाते हैं, फिर उसमें बोन सीमेंट भर देते हैं। इस प्रक्रिया में एक घटा लगता है। इससे मरीज ओपेन सर्जरी से बच जाता है।
सिरिंज से निकलेगा गुर्दे में जमा गंदा पानी
पेशाब में रुकावट की वजह से कई बार किडनी में गंदा पानी जम जाता है। अभी तक इस पानी को निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत पड़ती थी। अब कैथेटर के जरिए इस पानी को आसानी से निकाला जा सकता है। यह जानकारी मुंबई के डॉक्टर विमल सोमेश्वर ने दी।