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पोंजी स्कीम संचालकों के खिलाफ दर्ज हो सकेगी आनलाइन शिकायत, यूपी सरकार ने ल‍िया अहम न‍िर्णय

राज्य सरकार का अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अधिनियम को लागू करने का निर्णय। बीते वर्षों में पोंजी स्कीम के जरिए हुए करोड़ों रुपये के घोटालों के कदम रोकने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में उनके खिलाफ केंद्रीय कानून के तहत कार्रवाई का रास्ता साफ कर दिया है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 07:23 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 07:23 AM (IST)
पोंजी स्कीम संचालकों के खिलाफ दर्ज हो सकेगी आनलाइन शिकायत, यूपी सरकार ने ल‍िया अहम न‍िर्णय
ज्यादा रिटर्न का लालच देकर लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने वालों पर कसेगा शिकंजा।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। शाइन सिटी व बाइक बोट जैसी योजनाएं अब प्रदेश में निवेशकों की गाढ़ी कमाई नहीं लूट सकेंगी। बीते वर्षों में पोंजी स्कीम के जरिए हुए करोड़ों रुपये के घोटालों के कदम रोकने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में उनके खिलाफ केंद्रीय कानून के तहत कार्रवाई का रास्ता साफ कर दिया है। लोगों को ज्यादा ब्याज या रिटर्न का लालच देकर जमा पूंजी के रूप में उनकी गाढ़ी कमाई लूटने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई हो सकेगी। राज्य सरकार ने केंद्र के अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अधिनियम, 2019 को प्रदेश में लागू करने का निर्णय किया है। पोंजी स्कीम चलाने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं/ गैर बैंकि‍ंग वित्तीय कंपनियों के खिलाफ लोग अब आनलाइन शिकायत दर्ज करा सकेंगे। शिकायतों को आनलाइन दर्ज करने के लिए संस्थागत वित्त विभाग पोर्टल तैयार कर रहा है।

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केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अधिनियम पारित कराया था। इसमें पोंजी स्कीम चलाने वाले या निवेश/जमा पर ज्यादा रिटर्न का लालच लोगों की जमा पूंजी लूट कर गायब हो जाने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं/नान बैंकि‍ंग फाइनेंस कंपनियों पर शिकंजा कसने का प्रावधान है। लोगों को उनकी जमा पूंजी पर अधिक रिटर्न का झांसा देकर उनकी गाढ़ी कमाई लूट कर चंपत हो जाने वाली संस्थाएं या नान बैंकि‍ंग वित्तीय कंपनियां न तो भारतीय रिजर्व बैंक और न ही अन्य किसी रेगुलेशन से नियंत्रित होती हैं। राज्य सरकार की ओर से अपनाए गए केंद्रीय कानून के तहत अब ऐसे स्कीम संचालकों पर कानूनी कार्रवाई हो सकेगी। इस कानून के तहत कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी और ऐसे प्रकरणों की अदालती सुनवाई कार्यालय को अधिसूचित करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है।

इस कानून के तहत कार्रवाई के लिए सरकार ने सक्षम प्राधिकारी और सक्षम न्यायालय को अधिसूचित कर दिया है। मंडलायुक्त इसके लिए सक्षम प्राधिकारी के रूप में अधिसूचित किए गए हैं। अपर आयुक्त प्रशासन को सहायक सक्षम प्राधिकारी नामित किया गया है। ऐसे व्यक्तियों/संस्थाओं/कंपनियों के बारे में शिकायत मिलने पर सक्षम प्राधिकारी के रूप में मंडलायुक्त इन मामलों की जांच अपर आयुक्त प्रशासन से करा सकते हैं। वह आरोपित व्यक्ति/ संस्था/कंपनी के परिसर में घुस सकते हैं। उसकी संपत्ति अटैच कर सकते हैं। उसे सम्मन कर सकते हैं। उसके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करा सकते हैं।

सीबीआइ जांच भी हो सकेगी : यदि ऐसे व्यक्ति/संस्था/कंपनी का कारोबार एक से ज्यादा जिलों/राज्यों में फैला है या लोगों को झांसा देकर उनके द्वारा बहुत बड़ी धनराशि बटोरी गई है तो ऐसे मामलों में सीबीआइ से भी जांच कराई जा सकती है। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/ सचिव गृह सीबीआइ को जांच संदर्भित कर सकते हैं।

एडीजे प्रथम न्यायालय करेगा सुनवाई : ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज होने पर अपर जिला जज (प्रथम) की कोर्ट विशेष न्यायालय के तौर पर मामले की सुनवाई करेगी।

संस्थागत वित्त विभाग तैयार करा रहा पोर्टल : महानिदेशक संस्थागत वित्त शिव सि‍ंह यादव ने बताया कि पोंजी स्कीम संचालकों के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए विभाग की ओर से पोर्टल तैयार कराया जा रहा है।

दूसरे राज्यों की नियमावलियों का भी अध्ययन कर रही सरकार : अधिनियम को अमली जामा पहनाने के लिए राज्य सरकार इसकी नियमावली बना रही है। केंद्र सरकार ने अधिनियम के तहत नियमावली बनाकर राज्यों को जारी कर दी है। राज्य सरकारें इसके कुछ प्राविधानों में अपनी जरूरत के मुताबिक संशोधन कर सकती हैं। नियमावली बनाने के लिए दूसरे राज्यों की नियमावलियों का भी अध्ययन किया जा रहा है।


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