यूपी में निराश्रित पशु घूमते मिले तो सीडीओ, सीवीओ व डीपीआरओ जिम्मेदार, अगले सप्ताह से हर जिले में औचक निरीक्षण
यूपी शासन ने निर्देश दिया है कि जिन गांवों में निराश्रित पशुओं की समस्या है वहां पर मनरेगा के तहत अस्थायी गोआश्रय स्थलों का निर्माण किया जाए जिनके रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत की होगी। अस्थायी निराश्रित गोआश्रय स्थलों को भी चारे आदि के पशुधन विभाग बजट जारी करेगा।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के निराश्रित पशुओं को आश्रय स्थल पहुंचाने के लिए शासन और सख्त हो गया है। हर जिले में अगले सप्ताह से इसका निरीक्षण होगा और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ), मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) व जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में पशुओं की मौत होती है तो जिले के सीवीओ व डिप्टी सीवीओ जवाबदेह होंगे।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने नए वर्ष पर निराश्रित पशुओं को आश्रय स्थल पर पहुंचाने की मुहिम शुरू की थी, तय अवधि में सभी पशुओं के आश्रयस्थल न पहुंचने पर तारीख बढ़ाई गई थी, पिछले दिनों निराश्रित पशुओं की समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि आश्रय स्थलों पर भूसा व हरा चारा आदि के इंतजाम के लिए सभी जिलों को धन जारी कर दिया गया है। यह भी निर्देश है कि निर्माणाधीन आश्रय स्थलों को तत्काल उपयोग के लिए तैयार किया जाए, शेष निर्माण कार्य ठंड कम होने पर मार्च में कराने का आदेश दिया है।
जिलों को यह भी निर्देश दिया गया है कि जिन गांवों में निराश्रित पशुओं की समस्या बरकरार है वहां पर मनरेगा के तहत अस्थायी गोआश्रय स्थलों का निर्माण किया जाए, जिनके रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत की होगी। अस्थायी निराश्रित गोआश्रय स्थलों को भी चारे आदि के पशुधन विभाग बजट जारी करेगा।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि जल्द ही शासन की ओर से नामित अधिकारियों को जिलों के भ्रमण पर भेजा जाएगा, वे निराश्रित स्थलों, गोशाला और ग्रामीण इलाकों का भ्रमण करेंगे। निरीक्षण के दौरान चिकित्सा सेवा का अभाव, ठंड के कारण निराश्रित पशु की मौत, पशुओं से किसान की फसल को नुकसान या फिर निराश्रित पशु घूमते मिले तो कार्रवाई होगी।
सहभागिता योजना के तहत लक्ष्य दोगुना : शासन ने सहभागिता योजना के तहत दिए गए लक्ष्य एक लाख को बढ़ाकर दो लाख किया गया है। जिसका जिलावार लक्ष्य प्रमुख सचिव पशुधन विभाग की ओर से शीघ्र भेजा जाएगा। इसका प्रचार-प्रसार गांवों में ग्राम पंचायत अधिकारियों की ओर से किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग निराश्रितों को संरक्षित कर सकें। शासन की ओर से 900 रुपये प्रतिमाह प्रतिपशु की दर से सुविधा लेते हुए दिया जाएगा, डीपीआरओ इसके जिम्मेदार होंगे।