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IISF-2018: घर लाएं अल्मोड़ा का मक्का, देगा अंडा और मांस के बराबर प्रोटीन

आइसीएआर के एडीजी डॉ.पवन कुमार अग्रवाल ने दी जानकारी। मक्का की विवेक क्यूपम-9 और विवेक क्यूपम-21 वैरायटी में जबरदस्त प्रोटीन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 02:04 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 09:32 PM (IST)
IISF-2018: घर लाएं अल्मोड़ा का मक्का, देगा अंडा और मांस के बराबर प्रोटीन

लखनऊ(ऋषि मिश्र)। अगर आपको लगता है कि अंडा और मांस के जरिये ही शरीर में अधिक प्रोटीन की जरूरत पूरी हो सकती है तो यह सच नहीं है। मक्का की एक ऐसी प्रजाति भी विकसित की जा चुकी है, जिसके जरिये आपको मांसाहार के बराबर ही प्रोटीन मिलेगा।

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अल्मोड़ा में मक्का की एक विशेष प्रजाति विकसित की गई है, जिसके जरिये शरीर को 90 फीसद तक प्रोटीन मिल जाता है। जबकि मक्का की प्रचलित वैरायटी के जरिए केवल 60 फीसद प्रोटीन ही प्राप्त होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के वैज्ञानिक और अतिरिक्त महानिदेशक डॉ.पवन कुमार अग्रवाल ने इस बात की जानकारी दी। इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में स्टेक होल्डर्स एंड पार्टनर्स समिट के दौरान डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अल्मोड़ा के आइसीएआर-वीपीकास संस्थान ने मक्का की ये किस्म तैयार की है, जिसका नाम विवेक क्यूपम-9 और विवेक क्यूपम-21 है।

इसके आटे से बनी रोटी या फिर सामान्य भुट्टे की तरह खाकर आपको मांस, अंडा, और दूध की ही तरह प्रोटीन मिलेगा। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर जो मक्का हम खाते हैं, उसका 40 फीसद प्रोटीन ही हमारे शरीर को मिल पाता है। मगर जब हम अल्मोड़ा का ये मक्का खाते हैं तब हमारे शरीर को 90 फीसद प्रोटीन मिलता है। फिलहाल भारत सरकार की ओर से इसे उगाने के लिए कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और देश के सभी पहाड़ी राज्यों को चुना गया है। खास बात यह है कि इसकी कीमत भी सामान्य मक्का जैसी है। यानी ये महंगा नहीं है।

देश में 50 हजार करोड़ की फल सब्जी होती है खराब

डॉ.अग्रवाल ने बताया कि भारत में हर साल 50 हजार करोड़ रुपये की फल और सब्जी खराब हो जाती है।  जिसकी प्रमुख वजह कोल्ड स्टोरेज की कमी है। इसलिए अब छोटे कोल्ड स्टोरेज की तकनीक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की है। जिसको किसान स्वयं सहायता समूह बना कर तैयार कर सकते हैं।

केवल दो हजार वर्ग फीट की जगह की आवश्यकता इसके लिए होती है। करीब 15 लाख रुपये का खर्च इस पर आता है। देश में प्रत्येक राज्य ऐसे कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सब्सिडी दे रही है। मुख्य रूप से टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च जैसी सब्जियों को किसान 10 से 15 दिन के लिए इस स्टोरेज में बचा सकते हैं।


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