760 कैमरों से लैैस है लखनऊ के इलाके, अपराधियों की चाल पर पैनी निगाह
अपराधियों की गिरफ्तारी में भूमिका निभा रहे पुलिस के सीसी कैमरे। प्रमुख स्थानों पर लगे 760 कैमरों की अपराधियों पर पैनी नजर।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी में बड़ी वारदातों का राजफाश करने में पुलिस के कैमरे अहम भूमिका निभा रहे हैं। राजभवन के पास कैश वैन के गार्ड की हत्या कर लूटपाट के ब्लाइंड केस समेत शहर की कई जघन्य वारदातों के राजफाश में कैमरों का अच्छा रोल रहा। भाजपा नेता प्रत्यूष मणि त्रिपाठी हत्याकांड के असली गुनहगारों तक पहुंचाने में भी कैमरे ही पुलिस की कसौटी पर खरे उतरे।
शहर में लगे हैं 760 कैमरे
पुलिस की ओर से राजधानी के पूर्वी, पश्चिमी, नॉर्थ, टीजी और ग्रामीण इलाकों में कुल 760 कैमरे लगाए गए हैं। ये मुख्य चौराहों से लेकर लिंक मार्गों तक पर नजर रखते हैं। ये कैमरे मॉडर्न पुलिस कंट्रोल रूम से ऑपरेट किए जाते हैं।
दो हजार कैमरे और लगाने की तैयारी
एएसपी मॉर्डन पुलिस कंट्रोल रूम विनोद कुमार पांडेय के मुताबिक अभी आइटीएमएस (इंटीग्र्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) और निर्भया योजना के तहत करीब दो हजार कैमरे और लगाए जाने हैं। ये कैमरे भी कंट्रोल रूम से कनेक्ट किए जाएंगे। कैमरों में अपराधियों के कैद होते ही पुलिस सीधे अपराधी को पकडऩे की जुगत लगाने लगती है।
तीन प्रकार के लगे हैं कैमरे
पीडीजेड (पैन टिल्ट जूम)
शहर में सौ से अधिक स्थानों पर करीब 170 कैमरे लगे हैं। ये कैमरे 360 डिग्र्री पर चारों दिशाओं में घूमते हैं। इनकी रेंज करीब पांच सौ मीटर है।
एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर)
एएनपीआर कैमरे वाहनों का चालान करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इनकी विजिबिलिटी करीब सौ मीटर होती है। इनकी संख्या 190 है।
फिक्स कैमरे
शहर में सौ के करीब फिक्स कैमरे भी लगे हैं। इनका डायरेक्शन सिर्फ एक दिशा में होता है। इसकी रेंज करीब 50 मीटर तक है। इनकी संख्या 410 है।