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अब यूपी में लीज की भूमि और भवन होने पर भी निजी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब 25 वर्ष की लीज पर ली गई भूमि या भवन होने पर भी अशासकीय प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल के लिए मान्यता देने पर विचार करेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 10:15 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 10:15 AM (IST)
अब यूपी में लीज की भूमि और भवन होने पर भी निजी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता
अब यूपी में लीज की भूमि और भवन होने पर भी निजी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता

लखनऊ, जेएनएन। गैर सरकारी प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल की मान्यता के लिए अब विद्यालय सोसाइटी के पास अपनी निजी भूमि या भवन होना जरूरी नहीं है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब 25 वर्ष की लीज पर ली गई भूमि या भवन होने पर भी अशासकीय प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल के लिए मान्यता देने पर विचार करेगी। सरकार ने यह फैसला उन विद्यालय सोसाइटी की कठिनाई दूर करने के लिए किया है, जिनके पास अपनी जमीन या भवन नहीं हैं। मान्यता के लिए आवेदन शुल्क और सुरक्षित कोष के तौर पर जमा की जाने वाली राशि को भी घटा दिया है।

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योगी सरकार ने प्राथमिक स्तर की मान्यता के लिए आवेदन शुल्क को घटाकर पांच हजार रुपये और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए दस हजार रुपये कर दिया है। पहले इनके लिए क्रमश: दस और 15 हजार रुपये आवेदन शुल्क तय था। सुरक्षित कोष के तौर पर जमा की जाने वाली राशि को भी घटाकर अब 25 हजार रुपये कर दिया गया है, जो कि पहले प्राथमिक स्तर के लिए एक लाख और उच्च प्राथमिक के लिए डेढ़ लाख रुपये थी। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया गया है।

इसके अनुसार स्कूल के लिए लीज पर ली गई जमीन विवाद रहित होनी चाहिए। लीज पर लिया गया भवन जर्जर और असुरक्षित नहीं होना चाहिए। पढ़ाई के लिए भी उपयुक्त होना चाहिए। स्थानीय निकाय या विकास प्राधिकरण क्षेत्र में मान्यता के लिए उन्हीं प्रकरणों पर विचार किया जाएगा जहां महायोजना या सेक्टर प्लान में भू-उपयोग विद्यालय के नाम अंकित होगा। विद्यालय का मानचित्र सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृत होगा। विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष व सभी सदस्यों को अपना फोटोयुक्त पहचान पत्र जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आइकार्ड विभाग को उपलब्ध कराना होगा।

यदि पहले से संचालित मान्यता प्राप्त विद्यालय का भवन जर्जर हो चुका है, जिससे छात्रों की जान को खतरा हो तो विद्यालय प्रबंधन और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का यह दायित्व होगा कि वे तत्काल बच्चों को पास के किसी स्कूल में स्थानांतरित कराएं। संबंधित संस्था को जर्जर भवन को ठीक कराने के लिए छह महीने की समयसीमा तय करते हुए नोटिस दी जाएगी। यदि इस अवधि में उसने भवन ठीक नहीं कराया तो उसकी मान्यता रद करने की कार्यवाही की जाएगी।

विद्यालय प्रबंधतंत्र को हर दो साल पर स्कूल में अग्निशमन के उपायों और भवन के जर्जर न होने के बारे में सक्षम प्राधिकारी के प्रमाणपत्र जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराने होंगे। ऐसा न करने पर उनकी मान्यता रद करने की कार्यवाही होगी। किराये के भवन में पहले से संचालित स्कूल चलते रहेंगे, बशर्ते कि उन्होंने भवन स्वामी के साथ किरायेदारी का एग्रीमेंट हस्ताक्षरित कर लिया हो, जिसमें सभी शर्तें स्पष्ट हों।


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