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अब हज से पहले करना होगा उमरा, इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान

पाच दिनों में आजमीनों को अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर जाकर हज के विभिन्न अरकान (नियम) पूरे करने होंगे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 05:22 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 05:27 PM (IST)
अब हज से पहले करना होगा उमरा, इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान

लखनऊ[मुहम्मद हैदर]। इस्लाम के पाच वाजिबात (जिन कार्यो को करना जरूरी है) में एक है हज। हर वर्ष ईद-उल-अजहा यानी बकरीद के महीने में हज किया जाता है। यह पहला मौका होता है जब दुनियाभर के मुसलमान एक जगह (सऊदी अरब के मक्का-मदीना में) एक मकसद के लिए जमा होते हैं। हज के लिए सऊदी अरब गए आजमीनों को सबसे पहले उमरा करना होगा। इसके बाद हज होगा, जो बकरीद (माह) की आठ से 12 के बीच किया जाएगा। इन पाच दिनों में आजमीनों को अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर जाकर हज के विभिन्न अरकान (नियम) पूरे करने होंगे। अरफात से मुकद्दस सफर की शुरूआत होगी, इसके बाद में मुदल्फा फिर मिना में कयाम (रुकना) कर आजमीनों को सभी अरकान पूरे करने होंगे और 12 तारीख को हज मुकम्मल हो जाएगा। हज यात्रा पर जाने वाले आजमीनों को कौन-कौन से अरकान पूरे करने होंगे? उनका तरीका क्या है? और किन बातों का उनको विशेष ध्यान रखना होगा? जागरण संवाददाता की रिपोर्ट.। शिया समुदाय:

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- पहला दिन : आठ बकरीद को रात शुरू होने से लेकर अगले दिन सूरज डूबने तक अरफात में रहकर इबादत करनी होगी। - दूसरा दिन : नौ बकरीद की पूरी रात और दस की सुबह तक मुदल्फा में कयाम कर इबादत करनी होगी। शैतान को कंकरी (छोटे पत्थर) मारने के लिए पत्थर इकठ्ठा करने होंगे। कम से कम 21 या 31 कंकरी चुन सकते हैं।

- तीसरा दिन : दस बकरीद को सूरज निकलने से पहले मिना में पहुंचना होगा। यहा तीनों शैतानों को कंकरी मारने के बाद कुर्बानी करानी होगी। फिर सिर मुंडाना होगा। बाद में मक्का पहुंचकर सात बार हरम शरीफ का तवाफ करना होगा। साथ ही नमाज-ए-तवाफ अदा करनी होगी। इसके बाद सफा व मरवा की पहाड़ी के सात चक्कर लगाने के साथ तवाफुन निसा करना होगा। रात बिताने के लिए मिना में वापस लौटना होगा।

- चौथा व पाचवा दिन : 11 व 12 तारीख को मिना में रहकर इबादत करनी होगी। दोनों दिन शैतान को कंकरी मारनी होगी। अंतिम दिन कंकरी मारने के बाद हज मुकम्मल हो जाएगा। सावधानिया :

शिया उलमा सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि अरफात में पहुंचने से आजमीन को अपना एहराम बाधना होगा। यह एहराम तीसरे दिन दस तारीख को हरम शरीफ के तवाफ के बाद ही उतारा जाएगा। इस बीच न तो खुशबू का इस्तेमाल कर सकते न ही आईना देख सकते हैं। अरफात से मिना तक खुली छत वाली गाड़ी से सफर करना होगा। हवाई चप्पल पहन सकते हैं। तीन दिन में सात-सात बार शैतान को कंकरी मारनी होगी। नियम टूटने पर हर गलती के बदले एक कुर्बानी करानी होगी। कुर्बानी का पैसा जमा करना बेहतर नहीं है, आजमीनों को खुद कुर्बानी करानी चाहिए। शैतान को कंकरी मारते समय अगर निशाना चूक जाए तो दोबारा कंकरी मारनी होगी। सुन्नी समुदाय:

- पहला दिन : आठ बकरीद की रात मिना में रहकर इबादत करें और दुआएं मागें। - दूसरा दिन : नौ बकरीद की सुबह नमाज के बाद अरफात पहुंचकर अधिक से अधिक बार 'अल्लाह हुम्मा लब्बैक' पढ़ना होगा। फिर जोहर व अस्त्र की नमाज साथ में अदा करनी होगी। मगरिब की नमाज से पहले मुदल्फा में इबादत करनी होगी। अगले दिन सुबह की नमाज अदा कर मिना पहुंचना होगा। - तीसरा दिन : दस बकरीद की सुबह सूरज निकलने के बाद तीनों शैतान को कंकरी मारनी होगी। इस बीच 'अल्लाह हुम्मा लब्बैक' पढ़ते रहें। बाद में कुर्बानी कराने के बाद सिर मुंडाए। फिर अपना एहराम खोल दें। हरम शरीफ के सात चक्कर लगाने के बाद मुकाम-ए-इब्राहीम पर पहुंच कर दो रकत नमाज अदा करनी होगी। बाद में सफा व मरवा की पहाड़ी का तवाफ कर वापस मिना में पहुंचना होगा। चौथा व पाचवा दिन: 11 व 12 बकरीद को मिना में रहकर अधिक से अधिक इबादत करें। अपने गुनाहों की माफी माग दुआ करें। दोनों दिन शैतान को कंकरी मारने के बाद हज मुकम्मल हो जाएगा।

सावधानिया :

सुन्नी उलमा मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि हज हाउस से आजमीनों को अपना एहराम बाधकर निकलना होगा। एहराम बाधने से हज मुकम्मल होने तक कई सावधानिया बरतनी होगी। इस बीच बाल में तेल लगाना, कंघी करना, इत्र लगाना आदि मना है। बारह तारीख को मिना में वापस लौटने की जगह एक दिन अधिक रहकर इबादत करना बेहतर है। तीन विमानों ने भरी मदीना की उड़ान:

राजधानी के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हज यात्र को लेकर उड़ान रवानगी का सिलसिला जारी रहा। तीसरे दिन सोमवार को तीन उड़ानों से 900 आजमीनों के साथ हज सेवकों को भी मदीना रवाना किया गया। हज हाउस के नोडल अधिकारी आरिफ रऊफ ने बताया कि पहली उड़ान (एसवी 5928) सुबह छह बजे 300 आजमीनों को लेकर रवाना हुई। इसमें 160 पुरुष व 140 महिलाओं के साथ हज सेवक मुहम्मद हिकमत को मदीना भेजा गया। इसी तरह दूसरा विमान (एसवी 5934) ने 156 पुरुष व 144 महिलाओं को लेकर दोपहर 3:30 बजे उड़ान भरी। तीसरी और अंतिम दिन उड़ान (एसवी 5938)157 पुरुष व 143 महिलाओं को लेकर देर रात रवाना होगी। वहीं, मंगलवार को जाने वाली तीनों उड़ानों की बुकिंग फुल हो चुकी है।


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