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यूपी में अब 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर होगी धान की बोआई, इस बार दस लाख टन अधिक पैदावार होने का अनुमान

सूबे में धान की फसल का रकबा बढ़ रहा है इसका असर पैदावार पर भी पड़ेगा। यूपी में धान उत्पादन का रिकार्ड बन सकता है। वजह बेहतर बरसात है। पिछले साल धान की पैदावार 257.04 लाख टन के पार पहुंची थी।

By Vikas MishraEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 06:15 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 06:15 AM (IST)
यूपी में अब 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर होगी धान की बोआई, इस बार दस लाख टन अधिक पैदावार होने का अनुमान
पिछले साल 58.92 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही धान की बोआई हो सकी थी।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सूबे में धान की फसल का रकबा बढ़ रहा है, इसका असर पैदावार पर भी पड़ेगा। यूपी में धान उत्पादन का रिकार्ड बन सकता है। वजह, बेहतर बरसात है। पिछले साल धान की पैदावार 257.04 लाख टन के पार पहुंची थी। अनुमान है कि धान का उत्पादन बीते वर्ष के मुकाबले इस बार दस लाख टन अधिक होगा।

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खरीफ सीजन में 96.03 लाख हेक्टेयर भूमि में से 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की बोआई का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है। चार अगस्त तक धान की बोआई 57.72 लाख हेक्टेयर भूमि पर की जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि 15 अगस्त तक 60 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की बोआई हो जाएगी।

पिछले साल 58.92 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही धान की बोआई हो सकी थी। मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा व मक्का) की पैदावार बढऩे के आसार हैं। धान और मोटे अनाज की पैदावार से केंद्रीय फूड बास्केट में यूपी की भागीदारी और बढ़ जाएगी। 18 मंडलों में से सबसे अधिक धान की बोआई बरेली मंडल में 194.40 हजार हेक्टेयर भूमि पर हुई है। मुरादाबाद में 175.50 हजार हेक्टेयर, मेरठ में 156.01 हजार हेक्टेयर, अलीगढ़ में 141.40 हजार हेक्टेयर, सहारनपुर में 73.72 हजार हेक्टेयर व विंध्याचल मंडल में 25 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की बोआई हुई है। कृषि विशेषज्ञ धान की पैदावार को लेकर बरेली मंडल के अव्वल रहने का दावा कर रहे हैं। धान की पैदावार बढऩे की वजह अनुकूल मौसम मानी जा रही है।

बढ़ेगी भंडारण की क्षमताः खरीफ की फसलों का उत्पादन बढ़ने से यूपी में धान व मोटे अनाज के भंडारण की समस्या हो सकती है। इसके लिए यूपी में अनाज की भंडारण क्षमता बढ़ाई जा रही है। 2017 में प्रदेश में भंडारण की कुल क्षमता 29 लाख टन के करीब थी। इसे सरकार ने तीन साल में बढ़ाकर 51 लाख टन से अधिक किया है। अब इसे 2022 तक 70 लाख टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।


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