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प्रदेश में 6.74 लाख कैंसर पीड़ित, मुंह व गले को बना रहा निशाना

अगर आपको भी है तंबाकू-खैनी की लत, जरूर पड़ें ये रिपोर्ट। 43 फीसद पुरुष और 16.5 फीसद महिलाएं बीमार।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 10:24 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 10:41 AM (IST)
प्रदेश में 6.74 लाख कैंसर पीड़ित, मुंह व गले को बना रहा निशाना
प्रदेश में 6.74 लाख कैंसर पीड़ित, मुंह व गले को बना रहा निशाना

लखनऊ[जितेंद्र उपाध्याय]। जिस पान मसाले को आप बड़े चाव से खाते हैं। दरअसल, वही आपकी सेहत को प्रभावित कर रहा हैं। तंबाकू या उससे संबंधित उत्पादों की वजह से मुंह व गले का कैंसर बढ़ रहा है। सूचना अधिकार के तहत नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीडीआइआर), इंडियन कैंसर मेडिकल रिसर्च (एनसीएमआर) और हॉस्पिटल बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री (एचबीसीआर) की ओर से 21 मई को दी गई सूचना के आधार पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

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तंबाकू का सेवन करने से सबसे ज्यादा प्रभाव मुंह और गले पर पड़ता है। वर्ष 2012 से 2014 के बीच के दिए गए आकड़ों में देश में पुरुषों में तंबाकू से मुंह के कैंसर के 14,519 मामले सामने आए थे जो कुल संख्या का 43 फीसद है, जबकि 11,022 मामले महिलाओं में कैंसर के सामने आए थे जो 16.5 फीसद है। गले के कैंसर के 4,085 मामले रजिस्टर्ड हुए थे। तीन वषरें में 62,946 लोग तंबाकू व पान मसाले की वजह से कैंसर से पीड़ित हुए हैं। नोएडा के स्मोकलेस टोबैको एंड व‌र्ल्ड नॉलेज हब (एमएलटी) के आकड़ों पर गौर करें तो प्रति वर्ष सात लाख से अधिक लोग चबाने वाली तंबाकू से मौत के शिकार हो रहे हैं। विश्व स्तरीय आकड़ों में सबसे ज्यादा 91 फीसद गरीब देशों के लोग तंबाकू व उनसे बने उत्पाद का प्रयोग करते हैं। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के वर्ष 2016 के आकड़ों के मुताबिक, देश में 3.9 मिलियन लोग कैंसर के शिकार हैं। उत्तर प्रदेश में 6,74386 मामले रजिस्टर्ड हुए हैं जिनमे 40 फीसद मुंह और फेफड़े के कैंसर के रोगी हैं।

क्या कहते हैं यूनियन के महासचिव ?

पान किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव छोटेलाल चौरसिया का कहना है कि पान की खेती को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, जबकि पान मसाले का उत्पादन बढ़ रहा है। कैंसर का कारण होने के बावजूद बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार को पान मसाला व गुटखा पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रार्थना पत्र कई बार दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। राज्यपाल राम नाईक से मिलकर अब राष्ट्रीय रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजा जाएगा।


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