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अब मोबाइल एप बताएगा जमीन की गुणवत्ता, उत्पादन के साथ बढ़ेगी यूपी के किसानों की आय

यदि आप किसान हैं और जमीन ऊसर होने से उत्पादन की कमी को लेकर परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। एक ऐसा मोबाइल एप बनाया गया है जो आपके खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता की कमी के साथ ही उसके सुधार की पुरी जानकारी देगा।

By Vikas MishraEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 12:54 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 04:16 PM (IST)
अब मोबाइल एप बताएगा जमीन की गुणवत्ता, उत्पादन के साथ बढ़ेगी यूपी के किसानों की आय
कोई भी किसान प्ले स्टोर पर जाकर इसे अपने मोबाइल फोन में अपलोड कर सकता है।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। यदि आप किसान हैं और जमीन ऊसर होने से उत्पादन की कमी को लेकर परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की केंद्रीय अनुसंधान के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ की ओर से एक ऐसा मोबाइल एप बनाया गया है जो आपके खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता की कमी के साथ ही उसके सुधार की पुरी जानकारी देगा। आपको किसी कृषि वैज्ञानिक के पास जानक की जरूरत नहीं है। अपने स्मार्ट मोबाइल फोन के प्ले स्टोर पर जाकर इसे अपलोड किया जा सकता है। 

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केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा ने बताया कि वैज्ञानिकोें के प्रयास से 2017 में एप बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। पिछले साल कोरोना काल में इसका निर्माण पूरा हो गया। इसके बाद वैज्ञानिकों और किसानों के बीच जाकर उनकी आवश्यकताओं और ऊसर भूमि के सुधार की जानकारियों को एप में जगह दी गई। अब यह एप पूरी तरह से तैयार हो चुका है।

ऊसर भूमि के पीच मान का आंकलन जरूरीः सरकार की ओर से चलाए जा रहे मृदा परीक्षण अभियान से जुड़कर किसान अपने खेती की मिट्टी की जांच जरूर कराएं। मिट्टी के पीएच मान के आधार पर ही मोबाइल एप काम करेगा। पीएच मान को एप में अपलोड करते ही जमीन में पोषक तत्वों की कमी और जिप्सम के प्रयोग करने की मात्रा की जानकारी आ जाएगी। उसी आधार पर किसान अपनी भूमि को उपजाऊ बना सकते हैं। किसानों की आय दो गुना करने की सरकार की मंशा के सापेक्ष यह एप काफी कारगर साबित हो सकता है। कोई भी किसान प्ले स्टोर पर जाकर इसे अपने मोबाइल फोन में अपलोड कर सकता है। 

सूबे में 13.7 लाख हेक्टेयर जमीन ऊसरः देश में 67 लाख हेक्टेयर ऊसर भूमि है। इसमे अकेले उत्तर प्रदेश में 13.7 लाख हेक्टेयर जमीन है। किसानों की जमीन होने के बावजूद वह उसमें कुछ नहीं कर पाते। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा ने बताया कि इस एप से किसानों को लाभ हाेगा। वैज्ञानिकों के पास जाने की जरूरत भी नहीं होगी। इस https://play.google.com/store/apps/details?id=gypcalhindi.shyamsanginfosys.com एप से आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी।


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