अब किसानों ने लखनऊ में डाला डेरा, भानु गुट ने बुलायी गन्ना संस्थान में महापंचायत; जानें- क्या हैं मांगें
तीन कृषि कानून को लेकर जहां राकेश टिकैत की अगुआई वाले किसान संगठनों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया। वहीं अब भारतीय किसान यूनियन भानु गुट ने कई मांगों को लेकर लखनऊ के डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान में डेरा डाल दिया।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। तीन कृषि कानून को लेकर जहां राकेश टिकैत की अगुआई वाले किसान संगठनों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया। वहीं अब भारतीय किसान यूनियन भानु गुट ने कई मांगों को लेकर लखनऊ के डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान में कडेरा डाल दिया। अपनी मांगों को लेकर बुलायी गयी किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी। भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह आंदोलन भी तब तक जारी रहेगा, जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं हो जाती।
किसान महापंचायत में प्रदेश भर से किसान सुबह से ही जुटने लगे। दोपहर बाद भानु प्रताप सिंह आए। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा। कहा कि देश की खुशहाली का रास्ता खलिहान से होकर जाता है। लेकिन देश को खुशहाल बनाने वाला किसान बेहाल है। उसकी उपेक्षा सरकार लगातार कर रही है। हम सरकार से किसान आयोग के गठन की मांग करते हैं। यह आयोग किसानों के हितों की रक्षा करेगा। वहीं फसल की बर्बादी व अन्य कारणों से किसान बहुत कर्जदार हो गए हैं। उनका कर्जा माफ किया जाए। जिन किसान की आयु 60 वर्ष से अधिक हो गयी है। उनको हर माह 10 हजार रुपये पेंशन दिया जाए। दुर्घटना में मारे जाने वाले किसानों के आश्रितों को सरकार एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की व्यवस्था करे।
भानु प्रताप सिंह ने कहा कि आज बिजली की दर बहुत अधिक हो गयी है। इससे किसानी करना महंगा हो गया है। फसल का समर्थन मूल्य उस बढ़ी लागत के अनुपात में नहीं मिलता है। ऐसे में बिजली की दरों को कम किया जाना चाहिए। वहीं गांवों में किसानों को केवल 10 घंटे की बिजली मिल रही है। इसकी जगह 18 घंटे की बिजली की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भानु प्रताप सिंह किसान पंचायत के बाद धरने पर डट गए। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की मांगों पर सरकार निर्णय नहीं लेंगी तब तक वह पीछे नहीं हटने वाला है। इस मौके पर प्रदेश प्रभारी आशु चौधरी, प्रदेश महासचिव ऋषि मिश्र, प्रदेश मुख्य सचिव तारा ङ्क्षसह बिष्ट भी मौजूद थे।