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Lucknow Zoo: Butterfly Park में मौजूद हैं तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां, जानिए इनकी रोचक Life Cycle

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के तितली पार्क में अगले महीने से विभिन्न प्रकार की तितलियां दिखना शुरू हो जाएंगी। खून ठंडा होने के कारण ज्यादातर तितलियां सर्दी में सर्वाइव नहीं कर पाती हैं। इस वजह से वह इस मौसम में कम दिखाई पड़ती हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 02:28 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 06:17 AM (IST)
Lucknow Zoo: Butterfly Park में मौजूद हैं तितलियों की दुर्लभ प्रजातियां, जानिए इनकी रोचक Life Cycle
लखनऊ जू में गर्मियां की शुरुआत के बाद अब मार्च में खुलेगा तितली पार्क।

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) के तितली पार्क में अगले महीने से विभिन्न प्रकार की तितलियां दिखना शुरू हो जाएंगी। खून ठंडा होने के कारण ज्यादातर तितलियां सर्दी में सर्वाइव नहीं कर पाती हैं। इस वजह से वह इस मौसम में कम दिखाई पड़ती हैं। गर्मी के साथ एक बार फिर से तितली पार्क में रंग-बिरंगी तितलियां नजर आएंगी। चिडिय़ाघर का तितली पार्क बाउल शेप में बना हुआ है, जो कि दो एकड़ में फैला हुआ है।

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जरूरी हैं होस्ट और नेक्टर प्लांट: तितलियों के लिए होस्ट और नेक्टर प्लांट की आवश्यकता होती है। होस्ट प्लांट में तितली अपने अंडे देती है। इसके बाद कैटरपिलर और पीपा बनता है फिर तितली आती है। मदार, रेढ़, नींबू, अनार, संतरा, हिमालियन पेंटास, गुड़हल आदि होस्ट प्लांट होते हैं। नेक्टर प्लांट से तितलियां अपना भोजन लेती हैं। यह फ्लावरिंग प्लांट होता है, जिसमें फूल आते हैं। इसमें एग्जोरा, कास्मोस, लैंटाना, गुड़हल, ग्लैडिओलस, पपी, सदाबहार, बसैंदा आदि नेक्टर प्लांट होते हैं। यह ताजे और सड़े फलों से भी रस लेती हैं।

देखने को मिलेंगी यह तितलियां: प्लेन टाइगर, स्ट्राइप टाइगर, निंफालेडी, कामन इमीग्रेंट, डैनियड एग फ्लाई, जैज्बेल, जेब्रा ब्लू, जैसी तितलियां अगले महीने से दिखना शुरू हो जाएंगी। इन दिनों पेंजी, कामन क्रो, चाकलेट पेंजी, ग्र्रास यलो देखने को मिल रही हैं। भारत में पेंटेड लेडी एक मात्र है, जो माइग्रेटिंग तितली है। वह भी लखनऊ जू में दिखाई देती है। इसके अलावा कामन क्रो एशियन घाट की ओरे से आती हैं। अमेरिका की मोनार्क तितली माइग्रेशन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।

प्रदूषण के स्थान पर नहीं देती दिखाई: तितलियां तो बहुत जगह पाई जाती हैं मगर जहां उनको तितली पार्क जैसा माहौल मिलता है, वो वहां अपना आशियाना बना लेती हैं। तितली पार्क में किसी भी प्रकार का कैमिकल, पेस्टीसाइड और फर्टिलाइजर इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इससे तितलियों के मरने का खतरा रहता है। केवल गोबर खाद का उपयोग होता है। इसके अलावा जहां प्रदूषण होता है, उस स्थान पर तितलियां कभी नहीं दिखाई देंगी।

औसत आयु हफ्ते से 15 दिन: माइग्रेटिंग तितली उड़कर दूसरे स्थान पर पहुंचकर अंडे देती हैं। उसके बाद उसकी मृत्यु हो जाती है। फिर अंडे से जो तितली निकलती है, वह आगे चलती है। उन्हें पहले से ही पता होता है कि उन्हें किस स्थान पर पहुंचना है। तितलियों का माइग्रेशन पुश्तों में होता है। तितली की औसत आयु हफ्ते से 15 दिन तक की होती है।  


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