Move to Jagran APP

Anger Free Zone बने सीबीएसई के स्कूल, बच्चों को मिलेगा खुशनुमा माहौल

पढ़ाई के बढ़ते तनाव और गुस्से को छू मंतर करने के जतन आखिरकार सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन (सीबीएसई) के निर्देश पर स्कूल बने नो एंगर जोन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 07:09 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 08:18 AM (IST)
Anger Free Zone बने सीबीएसई के स्कूल, बच्चों को मिलेगा खुशनुमा माहौल
Anger Free Zone बने सीबीएसई के स्कूल, बच्चों को मिलेगा खुशनुमा माहौल

लखनऊ, जेएनएन। पढ़ाई के बढ़ते तनाव और गुस्से को छू मंतर करने के जतन आखिरकार सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन (सीबीएसई) के निर्देश पर स्कूलों ने शुरू कर दिया है। बच्चों के सवाल जवाब, शिक्षकों का आपसी संवाद या फिर अभिभावक और शिक्षकों के बीच वार्तालाप ने कूल लहजा अख्तियार किया है। मकसद सिर्फ एक कि बच्चे को खुशनुमा माहौल मुहैया कराया जा सके। 

loksabha election banner

सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी की ओर से 23 दिसंबर 2019 को (मेकिंग अवर स्कूल एंगर फ्री / एंगर फ्री जोन) जारी निर्देश पर शहर के स्कूलों ने गंभीरता से अमल किया है। केंद्रीय विद्यालय हों या निजी स्कूल सब में एक नया माहौल देखने को मिल रहा है। स्कूलों में जगह जगह एंगर फ्री जोन के बोर्ड लगाए गए हैं, ताकि अभिभावक भी अपने व्यवहार को नम्र बनाए रखें।

ज्वायफुल एजूकेशन पर फोकस

एंगर फ्री स्कूल की शुरुआत स्कूल टीचर से की गई है। स्कूल प्रशासन की ओर से शिक्षकों को उनका व्यवहार ठीक रखने की सख्त हिदायत हैं। बच्चों की हर छोटी बड़ी समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उसके ज्वॉयफुल माहौल में निराकरण करना है। इसके अलावा प्रशासनिक स्टाफ और अभिभावक अपने क्रोध पर नियंत्रण कर बच्चों के सामने मिसाल पेश करे, इस बात पर भी स्कूलों का फोकस है। स्कूलों का दावा है कि अब पढ़ाई का ऐसा पैटर्न अपनाया जा रहा जिससे बच्चों भी तनाव न महसूस करें और टीचर भी क्रोध नहीं किया जाएगा।

होलिस्टिक फिटनेस पर भी जोर

पढ़ाई के साथ साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए टाइमटेबल में स्पोर्ट्स आवर को बढ़ाया गया है। कुछ स्कूलों ने एसेंबली के बाद पीटी को रुटीन में शामिल किया है। इसके अलावा बच्चे की हॉबी अनुसार उसे उस खेल में और पारंगत बनाने के लिए ट्रेनिंग भी मुहैया कराई जा रही है। 

इसलिए उठाया गया कदम : जानकारों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों से दसवीं कक्षा से नीचे के बहुत से छात्रों के खुदकुशी के प्रयास के मामलों के सामने आए। मनोवैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन करने पर पाया गया कि इसके पीछे गुस्सा और तनाव है।

आर्मी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल प्रेरणा मित्रा ने बताया कि बच्चों को तनावमुक्त माहौल देने के लिए बेहद जरूरी है कि स्कूल पूरी तरह एंगर फ्री जोन रहें। टीचर हो या अभिभावक बच्चों की किसी भी बात का मुस्कराते हुए जवाब देना चाहिए, ताकि उन्हें गुस्से के माहौल से दूर रखा जा सके। एंगर फ्री रहने के लिए एसेंबली के दौरान प्ले व स्लोगन का प्रजेंटेशन की भी प्रस्तुति की जा रही है।

केंद्रीय विद्यालय अलीगंज के सुशील द्विवेदी ने बताया कि स्कूल का माहौल खुशनुमा होगा, तभी बच्चे तनाव रहित होंगे। इस दिशा में जगह जगह बोर्ड लगाए गए हैं। कोई किसी से ऊंची आवाज में बात न करें, इसके लिए सख्त हिदायत दी गई है। स्कूलों को अभिभावकों के सहयोग की भी जरूरत है। 

अवध कॉलिजिएट के प्रबंधक सरबजीत सिंह ने कहा कि क्लासरूम, वेटिंग रूम, लॉबी, अध्यापक कक्ष समेत सभी स्थानों पर एंगर फ्री जोन का साइन बोर्ड लगाया गया है। शिक्षक शिक्षिकाओं, कर्मचारी, ड्राइवर व क्लीनर को सख्त निर्देश है कि वह बच्चों व अभिभावकों से विनम्रभाव में बातचीत करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.