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न्यू हैदराबाद में एनसीसी ऑफिस बंद करने का नोटिस Lucknow News

बीरबल साहनी के नाम से आवंटित भूमि पर अवैध तरीके से किराये पर संचालित है एनसीसी कार्यालय।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 02:11 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 05:48 PM (IST)
न्यू हैदराबाद में एनसीसी ऑफिस बंद करने का नोटिस Lucknow News
न्यू हैदराबाद में एनसीसी ऑफिस बंद करने का नोटिस Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। प्राधिकरण ने न्यू हैदराबाद में पुरावनस्पति शास्त्री बीरबल साहनी को आवंटित भूमि पर चल रहे एनसीसी ऑफिस को बंद करने का नोटिस सोमवार को चस्पा किया। 

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टीजी न्यू सिविल लाइंस योजना न्यू हैदराबाद में एलडीए की भूखंड संख्या 429 का पट्टा वर्ष 1935 में बीरबल साहनी के नाम पर किया गया था। प्रीमियम शुल्क प्रति वर्ष 207 रुपये पर ये पट्टा था। 90 साल तक प्लॉट पर भवन और गार्डेन के उपयोग के लिए लीज की गई थी। मगर यहां किरायेदारी शुरू कर दी गई। 

बीरबल साहनी के दूसरे भूखंड पर शादी-बरातें 

एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि बीरबल साहनी के नाम से टीजी न्यू सिविल लाइंस योजना न्यू हैदराबाद में एलडीए की भूखंड संख्या 428 का भी पट्टा है। उस प्लॉट को बेच दिया गया है। फ्री होल्ड और नामांतरण के कागजों की जांच में प्रकरण पकड़ में आया है। 

विश्व प्रसिद्ध पुरावनस्पति शास्त्री थे बीरबल साहनी

जिस सड़क पर ये भूखंड है, उस सड़क का नाम ही बीरबल साहनी मार्ग है। साहनी पुरा वनस्पति क्षेत्र में विश्वविख्यात वैज्ञानिक थे। उन्होंने लखनऊ में पुरावनस्पति संस्थान विश्वविद्यालय मार्ग स्थापित किया था, जिसका नाम बाद में उनके ही नाम पर हुआ। दूसरी ओर, बशीरतगंज योजना के भूखंड संख्या 366 और 367 का पट्टा 1958 में 28 रुपये प्रतिमाह पर किया गया था। आवंटी रामशंकर त्रिवेदी की साल 2000 में मृत्यु हो गई थी। इसके बावजूद उनके परिवारजन अशोक त्रिवेदी और वीरेंद्र तिवारी यहां काबिज हैं। कई आरा मशीनें लगाकर लकड़ी काटी जाती है। दोनों भूखंडों के बीच कोई विभाजन नहीं है। कई शर्तों का उल्लंघन है। इसलिए भूमि खाली कराकर एलडीए पुन: प्रवेश करेगा।

इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का ऐशबाग योजना में भूखंड संख्या 66 के दुरुपयोग पर भी कब्जा वापस लिया जाएगा। इस संबंध में मेसर्स रामा मेटल और विनोद कुमार मेहरोत्रा को नोटिस दिया गया है। यहां एल्यूमिनियम के बर्तन बनाने के लिए पट्टा दिया गया था। मगर इसकी जगह गोदाम बना दिया गया। इन गोदामों से अच्छा-खासा किराया वसूला जा रहा है। इसलिए इस जमीन को भी खाली कराया जाएगा। 

यह भी जानें

  • 60 से 75 साल पुराने पट्टों को खत्म कर एलडीए करेगा जमीन पर पुन: प्रवेश।
  • बशीरतगंज में भी कई आरा मशीनों को बंद कराकर एलडीए वापस लेगा करोड़ों रुपये की भूमि।
  • ऐशबाग में एल्यूमिनियम के बर्तन बनाने की जगह जमीन पर गोदाम बनाए।

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