सनातन धर्म में कुछ भी अधूरा नहीं, कुंभ के नाम को लेकर विवाद खत्म
अखाड़ा परिषद के संत न केवल योगी के तर्कों से सहमत थे, बल्कि कहा कि पहले भी नाम कुंभ और पूर्ण कुंभ था। नौकरशाही ने इसे बदला। कालांतर में प्रचलित हो गया।
लखनऊ (जेएनएन)। सरकार ने हाल में अर्द्धकुंभ और कुंभ का नाम बदलकर कुंभ और महाकुंभ कर दिया। इस पर कई लोगों को आपत्ति थी। उनका तर्क था कि यह परंपरा के विरुद्ध है। रविवार को अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधियों से अपने आवास पर मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया। परिषद के संत न केवल योगी के तर्कों से सहमत थे, बल्कि यह भी कहा कि पहले भी इसका नाम कुंभ और पूर्ण कुंभ ही था। बाद में नौकरशाही ने इसे बदल दिया। कालांतर में यही प्रचलित हो गया। मुख्यमंत्री और संतों की मुलाकात में जब बात कुंभ के बदले नाम पर आयी तो योगी ने कहा कि सनातन धर्म की परंपरा में कुछ भी अधूरा नहीं होता। कुंभ का अर्थ घड़ा है। घड़ा आधा कैसे हो सकता है? संतों ने भी मुख्यमंत्री के इस तर्क से सहमति जतायी।
मेला प्राधिकरण के मार्गदर्शन के लिए संतों की समिति बनेगी
वार्ता में मेला प्राधिकरण और कुंभ के आयोजन में संतों की भूमिका का मसला भी उठा। योगी ने कहा कि मेला प्राधिकरण के मार्गदर्शन और सुझाव के लिए संतों की समिति गठित होगी। संत कुंभ की आत्मा हैं। उनकी भूमिका हमेशा अहम रही है और रहेगी। मेला प्राधिकरण के मार्गदर्शन के लिए अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ संतों और समाज के प्रमुख लोगों की समिति बनेगी। कुंभ के आयोजन के बावत समिति के सुझाव को तरजीह मिलेगी।
स्वच्छता अभियान से जुड़े संत समाज
योगी ने कुंभ को स्वच्छता अभियान से जोड़ते हुए कहा कि दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में विश्वभर से लोग आते हैं। यहां अगर सफाई रहेगी तो संदेश बेहतर जाएगा। संत समाज स्वच्छता के इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों को इस तरह प्रशिक्षण दिया जाएगा कि वे पर्यटकों के लिए गाइड की भूमिका भी निभा सकें। अखाड़ा परिषद द्वारा स्नान का समय बढ़ाने की मांग पर मुख्यमंत्री का रुख सकारात्मक रहा। बातचीत में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि केसाथ आए संतों के अलावा इलाहाबाद के मंडलायुक्त आशीष गोयल भी मौजूद थे।