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चार साल में स्मार्ट सिटी के लखनऊ में 10 प्रोजेक्ट भी नहीं हो सके पूरे, एक चौराहा भी नहीं बदला

लखनऊ में सितंबर 2016 से स्मार्ट सिटी को लेकर खींचा गया था खाका कैसरबाग के 813 एकड़ क्षेत्र की बदलनी थी तस्वीर चौराहा तक नहीं बदल सके।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 07:31 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 07:31 PM (IST)
चार साल में स्मार्ट सिटी के लखनऊ में 10 प्रोजेक्ट भी नहीं हो सके पूरे, एक चौराहा भी नहीं बदला
चार साल में स्मार्ट सिटी के लखनऊ में 10 प्रोजेक्ट भी नहीं हो सके पूरे, एक चौराहा भी नहीं बदला

लखनऊ, जेएनएन। स्मार्ट सिटी की नींव लखनऊ शहर में सितंबर 2016 में रखी गई थी। उद्देश्य था कि कैसरबाग के 813 एकड़, जिसे एरिया बेस्ड डेवलेपमेंट के तहत विकसित करना था, उसे ऐसा बनाया जाए कि शहर की अन्य कालोनियों के साथ-साथ देश में एक नजीर बने। पचास से अधिक कार्यों की सूची तैयार की। प्रतिष्ठित होटलों में लाखों रुपये खर्च करके इस पर सेमिनार हुए। विशेषज्ञों ने स्मार्ट सिटी को स्मार्ट बनाने के अपने अनुभव साझा किए।

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वर्ष 2016 से अब तक दो मंडलायुक्त भी बदल चुके हैं, लेकिन विकास के पहिए की रफ्तार जो होनी चाहिए थी, उसे गति नहीं दी जा सकी। ऐसा नहीं है पैसे की कोई कोई समस्या हो, आज भी स्मार्ट सिटी के खाते में चार सौ कराेड़ रुपये है। कागजों तक सीमित विकास का पहिया आज भी दल-दल में फंसा हुआ है। गिने चुने काम करके स्मार्ट सिटी का ढिढोंरा पीटा जा रह है। खासबात है जिस कैसरबाग को चुना गया था उसके चौराहे का फौव्वारा तक ठीक नहीं है। सूची में दर्ज किए गए कार्यों की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। स्मार्ट सिटी को लेकर सबसे पहले कवायद स्मार्ट पार्किंग को लेकर हुई। उद्देश्य था कि मल्टी लेवल पार्किंग खाली है या भरी इसकी जानकारी वाहन चालक अपने मोबाइल पर देख सकेगा। इसका टेंडर हुआ लेकिन नगर निगम सदन से ग्रहण लग गया। इसके बाद सौ करोड़ से अधिक का सीवर लाइन काम शुरू हुआ। दिसंबर 2020 में इसे खत्म होना था, आधा भी अभी तक नहीं हुआ। पांच वार्डों में सीवर व पानी की बेहतर व्यवस्था होनी थी। इसी तरह कैसरबाग क्षेत्र में हेल्थ एटीएम स्थापित करने के निर्देश तत्तकालीन मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम चार जुलाई 2020 को कर चुके हैं, इसके बाद यह चाल है। 

इन कार्यों को रफ्तार देने की जरूरत .

  • पांच वार्डों में सीवर से जुड़ा काम आज तक धीमी रफ्तार से चल रहा है।
  • 15 एमएलडी एसटीपी निर्माण कार्य को गति नहीं दी जा सकी।
  • स्मार्ट बस शेल्टर को फाइनल टच देना आज भी बाकी
  • कैसरबाग 813 एकड़ के आसपास ऐतिहासिक इमारतों की कायाकल्प
  • मछली मंडी की जमीन को खाली कराकर खाली पड़ी जमीन उपयोग में लाना, पहले भूमिगत पार्किंग का था प्रस्ताव
  • नगर निगम की पार्किंग को स्मार्ट पार्किंग बनाना
  • अमीरुद्दौला लाइब्रेरी की डेढ़ लाख किताबों का ऑनलाइन की सुविधा
  • कैसरबाग के पार्कों का सुन्दीकरण व वाई फाई से कनेक्टिविटी
  • 22 किमी. की स्मार्ट रोड का निर्माण होना
  • 35 हजार लोगों के यहां मुफ्त पेयजल कनेक्शन देना
  • कैसरबाग चौराहे का सुन्दीकरण के साथ ही आसपास मार्केंट को एक रंग में रंगना
  • सरकारी 22 विद्यालयों की कायाकल्प करना

ओवर हेड लाइनों को होना था भूूमिगत

कैसरबाग के 813 एकड़ क्षेत्र में ओवर हेड लाइनों को भूमिगत किया जाना था। इसके लिए एक ट्रंच लाइन बनानी थी। इसमें बिजली, टेलीफोन, केबल के तार जाने थे। सड़क के दूसरी तरफ सीवर, पानी की लाइनें ट्रंच लाइन में विभाजित करके जानी थी। यह मामला ठंडे बस्तें में चला गया। आज भी पांच वार्डों की गलियों की हालत देखी जा सकती है।

वन सिटी वन कार्ड पर काम होना बकी

वन सिटी वन कार्ड को लेकर तत्कालीन मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने जोर दिया था। अभी तक इसको भी अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। उद्देश्य था कि एक ऐसा कार्ड जिससे बिजली बिल, परिवहन संसाधन में सफर, पार्किंग शुल्क, गृहकर, जलकर मेट्रो में सफर जैसी सुविधा का लाभ ले सके। इसके लिए लखनऊ मेट्राे ने गो स्मार्ट कार्ड अपना लांच किया, इसमें 36 सेवाएं जुड़ सकती है, लेकिन कोई विभाग इसमें रुचि नही दिखा रहा है। नगर निगम में गो स्मार्ट कार्ड से गृहकर जमा करने की छूट दे रखी है, लेकिन इससे मेट्रो के 21 स्टेशनों पर जमा कर सकते हैं। वहीं रसीद मेट्रो जमा होने की देगा। गृहकर जमा करने वाले चाहते हैं कि रसीद निगम की तरह मिले। यही नहीं यह गार्ड ई सुविधा केंद्र व नगर निगम के काउंटर पर काम नहीं करते। इसलिए गृहकर दाता चाहकर भी इसका इस्तेमाल नहीं करते।


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