सरकारी अस्पतालों में नहीं एक भी हार्ट स्पेशलिस्ट, लखनऊ में सिर्फ नाम की ICCU
सरकारी अस्पतालों में एक भी हार्ट स्पेशलिस्ट नहीं। मेडिसिन डिप कार्ड और एनेस्थेटिस्ट चला रहे हैं यूनिट।
लखनऊ, [राफिया नाज]। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में एक भी डीएम (डॉक्टरेट इन मेडिसिन) इन कॉर्डियोलॉजी डॉक्टर नहीं हैं। यही हाल प्रदेश भर में है। राजधानी के सिविल, बलरामपुर, लोहिया अस्पतालों में नाम मात्र के लिए कॉर्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) और आइसीसीयू यूनिट चल रही है। केवल मेडिसिन और डिप्लोमा इन कॉर्डियोलॉजी के चिकित्सकों के सहारे ह्रदय के गंभीर रोगियों को देखा जा रहा है।
राजधानी में केवल केजीएमयू और लोहिया संस्थान में हृदय रोगियों के लिए मानकों के अनुरूप आइसीसीयू की व्यवस्था है। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में ओपीडी होती है। वेटिंग के चलते मरीज लोहिया अस्पताल, सिविल और बलरामपुर अस्पताल की ओर रुख करते हैं। पूरे पीएमएस कैडर में एक भी डीएम इन कॉर्डियोलॉजी नहीं है। आइसीयू और सीसीयू को केवल मेडिसिन, एनेस्थीसिया और डिप्लोमा इन कॉर्डियोलॉजी (डिप कार्ड) चिकित्सक चला रहे हैं।
यहां चल रही है यूनिट
बलरामपुर अस्पताल में 27 बेड का आइसीसीयू है। जहां आउटसोर्सिंग से एक एमसीएच इन कॉर्डियो एंड थोरोसिक विशेषज्ञ हैं। एक एनेस्थेटिस्ट और दो डिप कार्ड के चिकित्सक हैं।
सिविल अस्पताल में भी डिप कार्ड चला रहे हैं आइसीसीयू
डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल में 50 बेड का आइसीसीयू और आठ बेड की इमरजेंसी है। यहां सात डिप कार्ड चिकित्सक इसे चला रहे हैं। वहीं कैथ लैब भी यही डॉक्टर चला रहे हैं। हालांकि गत दस वर्षो में कैथ लैब में नाम मात्र की एंजियोग्राफी हुई है। डिप कार्ड की मान्यता खत्म होने के बाद यहां कैथ लैब चलाना भी एक तरह से अनुमति के बाहर हो गया है। अन्य संसाधन भी नहीं हैं।
लोहिया में फिजिशियन चला रहे हैं सीसीयू
लोहिया अस्पताल में सीसीयू को दो डिप कार्ड और तीन फिजिशियन चला रहे हैं।
डिप कार्ड के पद भी रिक्त
प्रदेश भर में सरकारी अस्पतालों में कॉर्डियोलॉजिस्ट के 133 पद हैं। इसमें केवल 44 ही डिप कार्ड हैं। वहीं 89 पद रिक्त हैं।
संशय बरकरार, चिकित्सक ही चलाएंगे व्यवस्था
राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय में दो दिन पहले ही चार बेड के सीसीयू का शिलान्यास किया गया है। यहां अभी शासन की ओर से स्पेशिलिस्ट की नियुक्ति को लेकर संशय बना हुआ है। सीएमओ डॉ.नरेंद्र अग्रवाल के मुताबिक यूनिट बनने के बाद इसे भी अस्पताल अपने स्तर पर चलाए जाने के निर्देश हैं।
क्या कहते हैं पीएमएस?
पीएमएस अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव का कहना है कि 20 साल पहले ही डिप कार्ड की मान्यता रद कर दी गई है। कुछ ही चिकित्सक रह चुके हैं, जो कि डिप कार्ड हैं, जिनके सहारे प्रदेश भर में कॉर्डियक यूनिट और आइसीसीयू चल रहे है। डीएम इन कॉर्डियोलॉजी केवल मेडिकल कॉलेज में जाते हैं, जहां उन्हें सारी सुविधाएं मिलती हैं। चिकित्सीय सुविधा और अच्छी करने को डीएम कॉर्डियोलॉजी की नियुक्ति को लेकर कई बार मांग की जा चुकी है।