उत्तर प्रदेश में गोवध पर अब गैंगस्टर नहीं
उत्तर प्रदेश में अब गोवध के अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकेगी। राज्य सरकार ने पुलिस थानों को इस आशय का सर्कुलर जारी कर दिया है। बाल श्रम, यौन शोषण, वन और जाली मुद्रा की तस्करी, सूदखोरी समेत दस मामलों के आरोपियों के खिलाफ भी इस
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब गोवध के अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकेगी। राज्य सरकार ने पुलिस थानों को इस आशय का सर्कुलर जारी कर दिया है। बाल श्रम, यौन शोषण, वन और जाली मुद्रा की तस्करी, सूदखोरी समेत दस मामलों के आरोपियों के खिलाफ भी इस एक्ट में कार्रवाई नहीं हो सकेगी। एक अप्रैल 2015 के बाद गैंगस्टर एक्ट में पकड़े गए लोगों को मुक्त कराने के लिए सरकार संबंधित अदालतों से एक्ट हटाने की अपील करेगी।
अध्यादेश की अवधि समाप्त होने और राष्ट्रपति से मंजूरी न मिलने की वजह से अखिलेश सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। 20 जनवरी 2015 को दस अपराधों को गैंगस्टर एक्ट के दायरे में लाया गया था। राज्यपाल राम नाईक ने भी इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद इसे राष्ट्रपति के यहां मंजूरी के लिये भेजा गया जहां गृह सचिव के मुताबिक यह अब भी पड़ा है। राष्ट्रपति भवन ने कुछ सवाल पूछे, जिनके जवाब भी भेज दिए गए पर राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल सकी। इस बीच अध्यादेश की अवधि समाप्त हो गयी। तब जाकर कानूनी और व्यवहारिक दृष्टि से शासन को यह कदम उठाना पड़ा। दरअसल, गोवध के अलावा नौ अन्य अपराधों में पुलिस गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर रही थी। इसको लेकर कानून का गम्भीर प्रश्न खड़ा हो गया था। इस स्थिति से बचने के लिए 11 दिसंबर को यह निर्णय किया गया।
गैंगस्टर एक्ट : दस अपराध
- गोवध
- मवेशियों की तस्करी
- सूदखोरी, बंधुआ मजदूरी
- बाल श्रम, यौन शोषण, अंग व्यापार
- भीख मंगवाना
- जाली नोटों की छपाई व लाना, ले जाना
- नकली दवाएं बनाना, बेचना व वितरण करना
- हथियार व गोला बारूद बनाना
- वन उत्पादों की तस्करी
- राज्य सुरक्षा प्रभावित करने वाले अपराध