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बसपा की रणनीतिः जहां जिस दल का प्रभाव वहां उससे चुनावी गठबंधन

बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव को देखते अब अपनी नई रणनीति पर काम कर रही है। वह जिस दल का जहां प्रभाव वहां उससे गठबंधन करने की तैयारी में है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:28 PM (IST)
बसपा की रणनीतिः जहां जिस दल का प्रभाव वहां उससे चुनावी गठबंधन

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव को देखते अब अपनी नई रणनीति पर काम कर रही है। वह जिस दल का जहां प्रभाव वहां उससे गठबंधन करने की तैयारी में है। ऐसा इसलिए कि मंदिर और मोदी लहर को छोड़ दिया जाए तो बसपा के वोट प्रतिशत में लगातार इजाफा हुआ। उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन के साथ ही बसपा अब दूसरे राज्यों में भी क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरेगी। बसपा की नजर ऐसे राजनीतिक दलों पर है जिनका राज्य विशेष में प्रभाव है। उनके साथ गठबंधन करने पर पार्टी के न केवल प्रत्याशी जीतें बल्कि वोट बैैंक भी बढ़े। ऐसे दलों के संपर्क में पार्टी के वरिष्ठ नेता हैैं। 

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बसपा दो दशक से राष्ट्रीय पार्टी 

दरअसल, 14 अप्रैल, 1984 को गठित बसपा दो दशक से राष्ट्रीय पार्टी है। बसपा अकेले दम पर ही देशभर में लोकसभा का चुनाव लड़ती रही है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 25 राज्यों की 503 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे लेकिन उनमें से सफलता किसी को नहीं मिली थी। 447 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी। पार्टी को मात्र 4.19 फीसद वोट मिले थे। हालांकि, पूर्व में बसपा के 21 सांसद चुने गए थे और पार्टी को 6.17 फीसद वोट हासिल हुए थे। चूंकि, इस बीच यूपी की सत्ता गंवाने के साथ ही राज्यों के चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है इसलिए उसके राष्ट्रीय स्तर के दर्जे पर खतरा मंडराने लगा है। इसको देखते हुए हाल ही में अपने सबसे मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर दूसरे राज्यों की लोकसभा सीटों पर भी है। 

लोस चुनावों में बसपा की स्थिति

वर्ष प्रत्याशी जीते  वोट(प्र)

1989 245    03   2.07

1991 231    02   3.64

1996 210    11   4.02

1998 251    05   4.67

1999 225    14   4.16

2004 435    19   5.33

2009 500    21    6.17

2014        503    00    4.19

क्षेत्रीय पार्टियों के संपर्क में बसपा नेता 

पार्टी सूत्रों का कहना है कि अबकी ज्यादातर दूसरे राज्यों में भी गठबंधन करके ही चुनाव लडऩे की तैयारी है। खासतौर से उत्तर प्रदेश से लगे हुए राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों पर बसपा की नजर है। इनमें बसपा और सपा का साथ तो रहेगा ही, संबंधित राज्य की प्रभावशाली क्षेत्रीय पार्टी से गठबंधन करके चुनाव लड़ा जाएगा। सूत्र बताते हैैं कि छत्तीसगढ़ में जहां पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस (जे) के साथ गठबंधन तय है वहीं हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ बसपा का गठबंधन रहेगा। इस संबंध में इनेलो के नेता अजय चौटाला ने हाल ही में मायावती से दिल्ली में मुलाकात की है। कर्नाटक में लोकसभा चुनाव भी जनता दल (एस) के साथ मिलकर बसपा लड़ेगी। इसी तरह दूसरे राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों के संपर्क में भी बसपा के बड़े नेता है। सभी पहलुओं को देखते हुए बात आगे बढऩे पर गठबंंधन को अंतिम रूप देने के लिए खुद मायावती इन दिनों नई दिल्ली में हैैं। पार्टी का मानना है कि भले ही दूसरे राज्यों की ज्यादातर सीटों पर जीत असंभव हो लेकिन गठबंधन होने पर उसके वोट बैैंक में इजाफा होगा जिससे उसका राष्ट्रीय स्तर का दर्जा बचा रहेगा। 

बैलेंस ऑफ पावर नहीं अब खुद की बनाएं सरकार

वैसे तो पूर्व में बसपा ज्यादातर लोकसभा की सीटों पर किस्मत आजमाने के साथ ही केंद्र की सत्ता में बैलेंस ऑफ पावर बनने के लिए देशवासियों से पार्टी प्रत्याशियों को वोट देने की अपील करती रही हैैं लेकिन अबकी बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के साथ हुए गठबंधन को ही कामयाब बनाने और अपने खुद के नेतृत्व में ही अपनी सरकार बनाने का देशवासियों से आह्वान किया है। उल्लेखनीय है कि बसपा के नेता, मायावती को देश का भावी प्रधानमंत्री बता रहे हैैं।


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