181 महिला हेल्पलाइन व रेस्क्यू वैन संचालन के लिए टेंडर के जरिये चुनी जाएगी नई सेवा प्रदाता कंपनी
181 महिला हेल्पलाइन व रेस्क्यू वैन संचालन के लिए नए सेवा प्रदाता का चयन टेंडर के जरिये किया जाएगा। इससे पहले सरकार करीब चार साल पुरानी इस योजना की कैबिनेट मंजूरी लेगी।
लखनऊ, जेएनएन। 181 महिला हेल्पलाइन व रेस्क्यू वैन संचालन के लिए नए सेवा प्रदाता का चयन टेंडर के जरिये किया जाएगा। इससे पहले सरकार करीब चार साल पुरानी इस योजना की कैबिनेट मंजूरी लेगी। महिला कल्याण विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। इसके बाद योजना का अलग से बजट आवंटित किया जाएगा। इस बीच कर्मचारियों को वेतन न मिलने से हेल्पलाइन ठप हो गई है।
यूं तो 181 महिला हेल्पलाइन का उद्घाटन सपा सरकार के समय आठ मार्च 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। उस समय केंद्रीय योजना के तहत छह सीटर कॉल सेंटर के साथ ही 11 जिलों में आशा ज्योति केंद्र व रेस्क्यू वैन शुरू की गई थी। इसके बाद भाजपा सरकार आई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस सेवा का विस्तार कर 181 महिला हेल्पलाइन के कॉल सेंटर को 30 सीटर कर दिया। साथ ही सभी 75 जिलों में रेस्क्यू वैन सेवा शुरू कर दी। शुरुआत से इसके संचालन का जिम्मा 108 व 102 एंबुलेंस चलाने वाली जीवीके-इएमआरआइ कंपनी के पास है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में सरकार ने कंपनी को इस योजना में भुगतान नहीं किया। इस कारण कर्मचारियों को आठ माह से वेतन भी नहीं मिला है। महिला कर्मचारियों ने मंगलवार से कॉल सेंटर की सेवाएं ठप कर दी हैं। दरअसल, शासन के अफसरों ने आपत्ति इस बात पर लगाई कि इस योजना का कैबिनेट से अनुमोदन नहीं लिया गया। साथ ही टेंडर करने के बजाय सीधे कंपनी को नामित कर दिया गया।
इस गलती को सुधारने के लिए महिला कल्याण विभाग चार साल पुरानी इस योजना को कैबिनेट से मंजूरी लेने जा रहा है। प्रमुख सचिव महिला कल्याण वीना कुमारी ने बताया कि सेवा नियमित होने के बाद नए सिरे से टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। ई-टेंडर में जो कंपनी चयनित होगी उसे ही 181 महिला हेल्पलाइन व रेस्क्यू वैन संचालन का जिम्मा दिया जाएगा।
47 लाख रुपये भुगतान के निर्देश
महिला कल्याण निदेशक मनोज कुमार राय ने 47 लाख रुपये भुगतान के निर्देश दिए हैं। एक-दो दिनों में इसका भुगतान हो जाएगा। ऐसे में महिला कर्मचारियों को एक-दो महीने का वेतन मिल जाएगा। यह भुगतान छह सीटर कॉल सेंटर के हिसाब से किया जा रहा है। छह सीटर कॉल सेंटर का पैसा केंद्र सरकार से आता है। प्रदेश सरकार ने इसका विस्तार कर 30 सीटर कर दिया था, ऐसे में 24 सीटर कॉल सेंटर के संचालन का पैसा कैबिनेट मंजूरी के बाद होने की उम्मीद है।