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    अब खून के रिश्‍ते में ही हो सकेगी सेरोगेसी, नए कानून से आई किराये की कोख में कमी

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 01 Feb 2020 12:38 PM (IST)

    ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलोजी 2020 में बोले विशेषज्ञ सरोगेसी बिल-2019 को लेकर घबराहट महिला से करार से कतराए दंपती एक्सपर्ट हैरान।

    अब खून के रिश्‍ते में ही हो सकेगी सेरोगेसी, नए कानून से आई किराये की कोख में कमी

    लखनऊ [संदीप पांडेय]। देश में नया सेरोगेसी बिल अभी अधर में है, मगर इसका भय साल भर बना रहा। ऐसे में देश-विदेश के दंपतियों ने सरोगेट मदर से किनारा कर लिया। लिहाजा, हजारों किराए की कोख सूनी रह गईं।

    लखनऊ के स्मृति उपवन में चल रही ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलोजी (एआइसीओजी)2020 के तीसरे दिन शुक्रवार को सरोगेसी बिल-2019 पर मंथन के दौरान ये बातें सामने आईं। देशभर से आए आइवीएफ एक्सपर्ट ने केंद्र सरकार से बिल में नियमों को शिथिल करने की मांग की। इंडियन सोसाइटी ऑफ थर्ड पार्टी रिप्रोडक्शन की सचिव डॉ. शिवानी सचदेवा गौर ने कहा कि बिल लोकसभा में गत वर्ष पास हुआ। राज्यसभा में पास होकर कानून में तब्दील हो जाएगा। वहीं, सिर्फ लोकसभा से पास होने पर ही देश में गत वर्ष सेरोगेसी मदर-चाइल्ड का ग्राफ काफी घट गया। देशभर के तीन हजार आइवीएफ सेंटरों पर सेरोगेसी मदर-चाइल्ड केयर की सुविधा है। वर्ष 2018 में इन सेंटरों पर किराए की कोख से वर्ष भर में करीब पांच हजार बच्चों का जन्म हुआ। वहीं वर्ष 2019 में दंपतियों ने सरोगेसी मदर से मुंह फेर लिया। ऐसे में गत वर्ष सिर्फ दो हजार शिशुओं ने ही सरोगेसी मदर से जन्म दिया।

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    50 फीसद विदेशी लेते थे किराए की कोख

    गुजरात से आए सोसाइटी के संरक्षक डॉ. सुधीर शाह के मुताबिक दरअसल, सरोगेसी में कोई भी दंपती एक महिला से करता है। उसमें आइवीएफ तकनीक से गर्भाधान कराया जाता है। इसके लिए दपंती महिला व गर्भस्थ शिशु की देखभाल के लिए रकम देते हैं। इस तरह सरोगेट मदर का चयन करने वालों में 50 फीसद अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड के नागरिक व अप्रवासी भारतीय सरोगेट हैं। 

    खून के रिश्ते की कोख होगी मान्य

    डॉ. शिवानी के मुताबिक नए कानून के मुताबिक जेनेटिक रिलेटिव की ही कोख ली जा सकती है। ऐसे में खून के रिश्ते में कोख मिलना मुश्किल है। परिवार की महिला घर के सदस्यों के बीच रिश्ते अलग-अलग हैं। ऐसे में मां बनने को तैयार नहीं हो रही हैं। लिहाजा, नियम शिथिल किए जाएं। साथ ही सरोगेसी मदर का शुल्क व केयर को लेकर स्पष्ट कानून बने। इस संबंध में सोसाइटी के सदस्य लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी से वार्ता भी कर चुके हैं।