बस पिता के नाम, अनुबंध बेटे से; MD के समक्ष प्रस्तुत हुई रिपोर्ट
आरटीओ कार्यालय से पता चला कि बस का है रजिस्ट्रेशन पिता के नामदो साल तक जांच रिपोर्ट दबी रही।
लखनऊ, जेएनएन। ग्रामीण अनुबंधित बस योजना में लापरवाही का मामला सामने आया है। मसला मेरठ क्षेत्र का है। रोडवेज के तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक ने पिता के नाम वातानुकूलित बस का अनुबंध बेटे से कर लिया। मामले की शिकायत जून 2018 में हुई तो जांच में बस का अनुबंध गलत मिला। इसके बाद अनुबंध रद्द कर दिया गया। मामले की जांच निगम मुख्यालय मुख्य प्रधान प्रबंधक प्राविधिक के पास पहुंची। दो साल तक जांच रिपोर्ट दबी रही। अब रिपोर्ट एमडी के समक्ष प्रस्तुत की गई है। नियमत: जिसके नाम गाड़ी होती है उसी से अनुबंध हो सकता है।
तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक एसके बनर्जी ने सिंधु जैन के नाम अनुबंधित बस संख्या यूपी 17 टी-7902 थी। लेकिन बस का अनुबंध आर्जब जैन के नाम कर लिया गया। जांच हुई तो गाड़ी पिता के नाम पंजीकृत मिली। सूचना मिलते ही बस का अनुबंध रद्द कर मामला खत्म कर दिया गया। इस मामले में बीती 14 जुलाई 2020 को अनिल सहगल की ओर से एमडी को एक पत्र भेजा गया। इसमें जांच रिपोर्ट और कार्रवाई की मांग की गई। शिकायतकर्ता ने कहा कि गलत अनुबंध पर बस दुर्घटनाग्रस्त होने पर यात्रियों के प्रति किसकी जिम्मेदारी होती।
उधर इस मसले पर तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक एसके बनर्जी का कहना है कि गलत अनुबंध होने की जानकारी मिलते ही उसका अनुबंध निरस्त कर दिया गया। रोडवेज को किसी भी तरह की आर्थिक क्षति नहीं पहुंची है।
मुख्य प्रधान प्रबंधक प्राविधिक जयदीप वर्मा ने बताया कि मेरठ का मामला था। गलत तरीके से बस का अनुबंध करने की जांच हुई थी। मामले की जांच कर रिपोर्ट एमडी को सौंप दी गई है। अब एमडी स्तर पर आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।