लखनऊ : SGPGI में रखरखाव के अभाव में करोड़ों की दवाएं फांक रही धूल, गत्तों पर बैठकर थकान मिटा रहे लोग
लखनऊ एचआरएफ काउंटर के बाहर ही रख दी जाती हैं बेशकीमती दवाएं गत्तों पर बैठते हैं लोग। गैलरी में असुरक्षित तरीके से रखे रहते हैं मरीजों को चढ़ाए जाने वाले फ्लूड्स। सरकार की ओर से खर्च किए जा रहे लाखों-करोड़ों रुपये को लापरवाही की भेंट चढ़ाया जा रहा है।
लखनऊ [धर्मेंद्र मिश्रा]। रायबरेली रोड स्थित संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (एसजीपीजीआइ) में मरीजों के लिए मंगाई जाने वाली करोड़ों रुपये की दवाएं रखरखाव के अभाव में धूल फांक रही हैं। कई बार गाड़ी से दवाओं की खेप आने के बाद उसे हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) स्टोर के बाहर ही दिनों-दिन तक के लिए रख दिया जाता है। लिहाजा अस्पतालकर्मी उसको अपने बैठने का ठिकाना बना लेते हैं। वह उन्हीं गत्तों पर बैठकर अपनी थकान भगाने में लग जाते हैं, जिसमें बेशकीमती जीवन रक्षक दवाएं रखी होती हैं।
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से इन दवाओं की गुणवत्ता खराब हो सकती है। यहां लाखों रुपये के कीमती फ्लूड्स को भी गैलरी में ही रख दिया गया है। जबकि उधर से ही दिनभर लोगों का आवागमन होता है। इनमें से दर्जनों गत्ते टूटे हुए व धूल ग्रसित होकर असुरक्षित तरीके से पड़े हुए हैं। हालत यह है कि गई कई गत्तों के फट जाने से उनमें रखे हुए फ्लूड्स निकलकर बाहर की ओर झांक रहे हैं। बावजूद अस्पताल प्रबंधन इनके रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। इससे मरीजों के लिए आए फ्लूड्स और बेशकीमती दवाएं जहां-तहां पड़ी रहती हैं। जबकि दवाओं और फ्लूड्स को रखने के लिए अलग से स्टोर की व्यवस्था होनी चाहिए। यहां गैलरी में ही उन्हें रख दिए जाने से उचित देखरेख़ के अभाव में गत्ते फटने लगे हैं। लोगों के आवागमन से उनके पैरों की धूल गत्तों और उसमें रखे बोतलों के ऊपर लगातार जमा हो रही है। मतलब साफ है कि मरीजों के इलाज लिए सरकार की ओर से खर्च किए जा रहे लाखों-करोड़ों रुपये को लापरवाही की भेंट चढ़ाया जा रहा है।
उत्तम हुआ सस्ता इलाज मिलने से दूर-दूर से आते हैं मरीज
एसजीपीजीआइ में उत्तम और सस्ता इलाज मिलने की आस में सिर्फ प्रदेश के ही नहीं, बल्कि देश के अन्य विभिन्न राज्यों से भी मरीज यहां लगातार आते रहते हैं। बहुत से मरीज ऐसे होते हैं जिनके पास महंगी दवाएं खरीदने व इलाज कराने का खर्च तक नहीं होता है। सरकार ने ऐसे ही मरीजों के लिए एचआरएफ के जरिए सस्ती दवा और इलाज का प्रबंध किया है। एसजीपीजीआइ के सीएमएस डॉ अमित अग्रवाल कहते हैं कि फ्लूड्स को रखने के लिए अलग से स्टोर की व्यवस्था अभी नहीं बन पाई है। इसलिए कुछ फ्लूड्स गैलरी में रख दिए गए हैं। हालांकि उन सभी के रखरखाव का जिम्मा एचआरएफ के चेयरमैन को दी गई है।