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Navratri 2022: विशेष योग बनने से बेहद खास है शारदीय नवरात्र, ऐसे करें पूजन तो जरूर पूरी होगी मनोकामना

Shardiya Navratri 2022 विशेष योग से इस बार शारदीय नवरात्र भक्तों के लिए बेहद खास बन रहा है। नौ में से सात दिन बेहद खास होंगे। इन दिनों विधि विधान से पूजन करने पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होंगी।

By JagranEdited By: Vrinda SrivastavaPublished: Sat, 24 Sep 2022 02:34 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 08:04 AM (IST)
Navratri 2022: विशेष योग बनने से बेहद खास है शारदीय नवरात्र, ऐसे करें पूजन तो जरूर पूरी होगी मनोकामना
विशेष योग बनने से बेहद खास है शारदीय नवरात्र.

लखनऊ, जागरण संवाददाता। Shardiya Navratri 2022: मां के नौ स्वरूपोंं की आराधना का पर्व नवरात्र 26 से शुरू हो रहा है। चार अक्टूबर तक होने वाली नौ दिनों की पूजा में मां के हर स्वरूप की आराधना की जाती है। इस बार विशेष योग होने से यह नवरात्र श्रद्धालुओंं के लिए खास बन गई है। हर दिन मां के स्वरूप की आराधना और सप्तशती का पाठ करने से मां की विशेष कृपा बरसती है।

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आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि नौ दिनों में सात दिन बेहद शुभ और कल्याणकारी योग बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार, वार और नक्षत्र के विशेष संयोजन से कुल 28 प्रकार के योग निर्मित होते हैं। इनमें से कतिपय खास योग अति बलवान होते हैं और उनमें किए गए कार्यों में सफलता, समृद्धि की वर्षा होती है। 26 सितंबर सोमवार को कलश स्थापना होने के साथ ही मां शुभता व समृद्धि का संदेश देंगी।

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 26 सितंबर को सुबह 3:24 बजे से हो रही है और 27 सितंबर को सुबह 3:08 बजे तक रहेगी। 26 सितंबर को अश्वनी शुक्ल घट स्थापना शुभ मुर्हूत में की जानी चाहिए। इस दिन कन्या लग्न में सुबह 5:56 बजे से 7ः35 बजे तक और अभिजीत मुर्हूत सुबह 11ः33 से दोपहर 12ः22 बजे तक तक घट स्थापना एवं देवी का पूजन किया जा सकता है।

मान्यता है कि जब भी नवरात्र की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है, तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। इस दौरान मां अपने साथ सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक होता है।

  • सोमवार से शुरू होने वाले नवरात्र के दूसरे दिन लगेगा खास योग
  • 27 सितंबर- द्विपुष्करयोग
  • 29 सितंबर- रवियोग
  • 30 सितंबर- रवियोग
  • एक अक्टूबर- रवियोग
  • दो अक्टूबर- सर्वार्थ सिद्धियोग
  • तीन अक्टूबर- रवियोग और जय योग
  • चार अक्टूबर- रवि योग
  • पांच अक्टूबर- दशहरा

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