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जहां सत्ता वहां नरेश अग्रवालः 38 साल में चार दल और एक अपनी पार्टी

सपा से राज्यसभा टिकट न मिलने के बाद ही उनके भाजपा में जाने की अटकलें शुरू हो गई थी। माना जा रहा है भाजपा उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हरदोई से उतार सकती है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 09:04 AM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 12:32 PM (IST)
जहां सत्ता वहां नरेश अग्रवालः 38 साल में चार दल और एक अपनी पार्टी
जहां सत्ता वहां नरेश अग्रवालः 38 साल में चार दल और एक अपनी पार्टी

लखनऊ [हरिशंकर मिश्र]। पाला बदलने में माहिर नरेश अग्रवाल ने हमेशा सत्ता की देहरी चूमी। प्रदेश में जिस भी दल का परचम लहराया, उसका साथ पकडऩे में उन्होंने देर नहीं की। सपा से राज्यसभा टिकट न मिलने के बाद ही उनके भाजपा में जाने की अटकलें शुरू हो गई थी। माना जा रहा है भाजपा उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हरदोई से उतार सकती है।

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38 साल में चार राजनीतिक दलों का साथ और एक अपनी पार्टी। हरदोई निवासी 67 साल के नरेश चंद्र अग्रवाल का कुल इतना सफरनामा है। 1980 में वह हरदोई से कांग्रेस के टिकट पर चुने गए। सात बार विधायक चुने जा चुके नरेश सियासत की सौदेबाजी में कभी घाटे में न रहे। 1997 में उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों को साथ लेकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और विश्वास मत हासिल करने में कल्याण सिंह का साथ दिया। इस सहयोग के बदले वह कल्याण, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह सरकार में प्रदेश में ऊर्जा मंत्री रहे। 2002 का चुनाव उन्होंने सपा के टिकट पर लड़ा और मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में परिवहन मंत्री भी बने।

नरेश को सत्ता का साथ किस कदर भाता रहा है, इसकी बानगी 2007 का चुनाव रहा। इसमें वह हरदोई से सपा के टिकट पर जीते, लेकिन सरकार बहुजन समाज पार्टी की बनी। मई 2008 में उन्होंने सपा से नाता तोड़ लिया और मायावती के साथ हो गए। हालांकि नरेश बसपा के साथ भी न टिके। 2012 में जब उन्हें लगा जनता का रुख समाजवादी पार्टी की ओर है तो उन्होंने बेटे के साथ फिर सपा की सदस्यता ले ली।

सपा ने 2012 में उन्हें राज्यसभा भेजा और अक्टूबर में आगरा में हुए अधिवेशन में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया गया था। वह अपने बयानों को लेकर हमेशा विवादित रहे। राज्यसभा में उन्होंने ङ्क्षहदू देवी देवताओं के नाम से शराब के ब्रांडों के नाम गिनाए थे। कुलभूषण जाधव के लिए आतंकवादी शब्द के इस्तेमाल पर भी उनकी आलोचना हुई थी।

बदलती वफाएं

-अब पूरा राजनीतिक जीवन बहनजी को अर्पित कर रहा हूं। अपना बेटा उन्हें सौंप रहा हूं। मायावती भावी पीएम ही नहीं देश की कर्णधार हैैं।

(2008 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल होते समय)

-चार साल बाद खुद को राजनीतिक रूप से आजाद महसूस कर रहा हूं। जब तक मुलायम सिंह यादव को सीएम नहीं बना लेता, चैन से नहीं बैठूंगा।

(2011 में समाजवादी पार्टी में शामिल होते समय)

-मैं प्रधानमंत्री मोदी से प्रभावित हूं। सीएम योगी से भी प्रभावित हूं। सरकार जिस तरह से काम कर रही है, पीएम के नेतृत्व में उनके साथ होना चाहिए।

(सोमवार को भाजपा में शामिल होते समय) 


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